Jamshedpur Strategy बदलने वाली टाटा मेटालिक्स की बड़ी चाल, टाटा स्टील की टॉप टीम मैदान में
जमशेदपुर की टाटा मेटालिक्स में अब बिजनेस काउंसिल और स्क्रैप प्रोक्योरमेंट प्राइसिंग कमेटी के गठन से कंपनी में बड़ा मैनेजमेंट शिफ्ट देखने को मिल रहा है। टाटा स्टील के शीर्ष अधिकारियों को इन रणनीतिक पदों पर लाया गया है।

जमशेदपुर: देश की औद्योगिक राजधानी माने जाने वाले जमशेदपुर से एक बार फिर टाटा स्टील ने बड़ी रणनीतिक चाल चली है। टाटा मेटालिक्स, जोकि टाटा स्टील का महत्वपूर्ण डिवीजन है, उसके बेहतर संचालन और विकास के लिए एक नई बिजनेस काउंसिल का गठन किया गया है। कंपनी ने यह कदम आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा, उत्पादन और प्रबंधन स्तर पर बदलाव लाने के उद्देश्य से उठाया है।
इस काउंसिल का गठन खुद टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ टीवी नरेंद्रन ने किया है, जो यह दिखाता है कि यह कोई साधारण फेरबदल नहीं बल्कि एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है।
इतिहास की बात करें तो...
टाटा मेटालिक्स की नींव 1990 में पड़ी थी, और तब से यह भारत में पाइग आयरन और डक्टाइल आयरन पाइप्स की मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी रही है। जमशेदपुर और खड़गपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में इसकी मजबूत पकड़ है। लेकिन बदलते वक्त और बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में यह ज़रूरी हो गया था कि कंपनी अपनी रणनीतियों को नए सिरे से परिभाषित करे।
कौन हैं इस बिजनेस काउंसिल के खिलाड़ी?
बिजनेस काउंसिल की कमान सौंपी गई है चैतन्य भानु को, जो कि वीपी ऑपरेशंस, टाटा स्टील जमशेदपुर हैं। उनके साथ संयोजक बनाए गए हैं रोहित तिवारी, हेड बिजनेस फाइनेंस, मेटालिक्स डिवीजन।
इसके अलावा इस काउंसिल में टाटा स्टील के कई दिग्गज अधिकारियों को शामिल किया गया है:
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अत्रैयी सान्याल (VP HRM)
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आलोक कृष्णा (EIC मेटालिक्स डिवीजन)
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अंशुल गुप्ता (Chief Finance Controller)
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केशरी कुमार, देबज्योति राय, नीरज कुमार सिन्हा, प्रभात कुमार, प्रदीप कुमार बल, प्रणब कुमार मिश्रा, संदीप भट्टाचार्य, शांतनु बनर्जी, सोनम रंजन, और उज्जवल घोष को भी इस टीम में अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं।
स्क्रैप प्रोक्योरमेंट प्राइसिंग कमेटी – एक और मास्टरमूव
सिर्फ बिजनेस काउंसिल ही नहीं, बल्कि टाटा स्टील ने स्क्रैप प्रोक्योरमेंट और प्राइसिंग से जुड़ी एक विशेष समिति का गठन भी कर दिया है। इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है पियूष गुप्ता को, जो VP – TQM, GSP और सप्लाई चेन के प्रमुख हैं। उनके साथ:
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आशीष अनुपम (VP, लॉन्ग प्रोडक्ट्स) – वैकल्पिक चेयरमैन
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राहुल गुप्ता (Chief – स्टील रिसाइक्लिंग बिजनेस) – संयोजक
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दीपांकर दास गुप्ता (EIC – IBMD)
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प्रकाश सिंह (Chief – BPE ऑपरेशंस)
इस कदम के पीछे की सोच क्या है?
इसका मकसद स्पष्ट है – कॉस्ट कंट्रोल, सप्लाई चेन की मजबूती और प्रोडक्शन में क्वालिटी सुधार। टाटा स्टील यह समझ चुकी है कि मेटालिक्स और रिसाइक्लिंग जैसे डिवीजनों में लंबी रेस के लिए अब टॉप मैनेजमेंट की डायरेक्ट इन्वॉल्वमेंट जरूरी है।
क्या बदलेगा अब?
कंपनी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि इस नए ढांचे से फैसले लेने की प्रक्रिया तेज होगी, ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी और मेटालिक्स डिवीजन में टारगेट बेस्ड वर्क कल्चर को बढ़ावा मिलेगा।
अंदरखाने चर्चा यह भी है कि कंपनी आने वाले समय में अपने मेटालिक्स डिवीजन का विस्तार करने की योजना पर भी काम कर रही है। इस काउंसिल के जरिए वह मौजूदा ऑपरेशंस की गहराई से समीक्षा करेगी और सुधार के रास्ते तलाशेगी।
टाटा स्टील द्वारा टाटा मेटालिक्स के संचालन में यह बड़ी पहल एक स्पष्ट संकेत है कि कंपनी अब किसी भी स्तर पर चूक नहीं चाहती। चाहे बात इन्वेंट्री मैनेजमेंट की हो, स्क्रैप प्रोक्योरमेंट की या मार्केटिंग स्ट्रेटजी की – अब हर फैसले के पीछे टॉप मैनेजमेंट का दिमाग और दिशा दोनों होगा।
अब देखना ये होगा कि इन दोनों समितियों के जरिए आने वाले महीनों में टाटा मेटालिक्स किस तरह से नए मुकाम हासिल करता है और भारतीय मेटल इंडस्ट्री को किस दिशा में ले जाता है।
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