Jamshedpur Interaction: डीसी अनन्य मित्तल का बड़ा एक्शन, ऑन द स्पॉट सुलझीं कई समस्याएं
जमशेदपुर में उपायुक्त अनन्य मित्तल द्वारा आयोजित साप्ताहिक जनता दरबार में कई समस्याओं का ऑन द स्पॉट समाधान हुआ। डीसी ने स्पष्ट किया कि अब जनता को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, कार्रवाई समयबद्ध होगी।

जमशेदपुर: आम जनता की आवाज अब सिर्फ फाइलों में नहीं दबेगी। जमशेदपुर के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक कुर्सी पर बैठा व्यक्ति अगर इच्छाशक्ति रखे, तो शिकायतें सुनकर उन्हें मौके पर हल किया जा सकता है।
समाहरणालय के कार्यालय कक्ष में आयोजित साप्ताहिक जनता दरबार में डीसी अनन्य मित्तल ने आम नागरिकों से सीधे संवाद किया और दर्जनों फरियादियों की समस्याएं सुनीं। यह दरबार न केवल संवाद का जरिया बना बल्कि एक "तुरंत समाधान" की मिसाल भी पेश कर गया।
इतिहास की एक झलक...
जनता दरबार की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है। पूर्व में राजा-महाराजाओं के राजमहलों में लगने वाले "दिवान-ए-आम" को ही आधुनिक प्रशासन ने "जनता दरबार" के रूप में अपनाया है। जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में, जहां विविध सामाजिक-आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, वहां इस तरह की पहल नागरिकों को प्रशासन से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनती है।
क्या हुआ इस दरबार में खास?
इस सप्ताह का जनता दरबार पूरी तरह नागरिक समस्याओं के नाम रहा। फरियादी अलग-अलग मसलों को लेकर पहुंचे थे –
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दुकान आवंटन में अनियमितता
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स्कूल फीस में अचानक हुई बढ़ोतरी
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चौकीदार नियुक्ति की लंबित लिस्ट
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विद्युत आपूर्ति में बार-बार रुकावट
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भूमि विवाद व पारिवारिक झगड़े
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अपना बाजार में जॉब नियुक्तियों में पारदर्शिता की मांग
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जनहित कार्यों के लिए प्रशासनिक सहयोग की अपील
इनमें से कई मामलों का उपायुक्त ने मौके पर ही समाधान कर दिया। इससे न केवल जनता को राहत मिली, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया में भरोसा भी गहरा हुआ।
डीसी की स्पष्ट चेतावनी और दिशा-निर्देश
उपायुक्त अनन्य मित्तल ने सभी जिला स्तरीय विभागीय पदाधिकारियों, बीडीओ और सीओ को सख्त निर्देश दिए कि जनता दरबार में प्राप्त आवेदनों पर विभागीय समन्वय के साथ समयबद्ध और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करें।
उन्होंने यह भी कहा कि, "जनता को बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़ें, यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।"
यानी अब सिस्टम में देरी और टालमटोल की गुंजाइश नहीं छोड़ी जाएगी।
क्यों है यह दरबार अहम?
जमशेदपुर की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और इसके साथ ही समस्याएं भी। भूमि विवाद से लेकर शैक्षणिक संस्थानों की फीस, जॉब से जुड़ी पारदर्शिता से लेकर सार्वजनिक सेवा की मांग – हर मोर्चे पर लोगों की उम्मीद प्रशासन से जुड़ी होती है।
जनता दरबार प्रशासन और नागरिकों के बीच का वह पुल है जो विश्वास और समयबद्ध न्याय की नींव मजबूत करता है।
लोगों की प्रतिक्रिया कैसी रही?
दरबार में आए कई लोगों ने इस पहल की सराहना की। एक दुकानदार ने कहा, “महीनों से दुकान आवंटन को लेकर परेशान था। आज पहली बार किसी अफसर ने ध्यान से सुना और मौके पर समाधान भी किया।”
एक महिला फरियादी ने कहा, “बेटे की स्कूल फीस अचानक बहुत बढ़ा दी गई थी। डीसी साहब ने तुरंत स्कूल से रिपोर्ट मंगवाई और कार्रवाई का आश्वासन दिया।”
जमशेदपुर में जनता दरबार अब सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक्शन का केंद्र बनता जा रहा है। उपायुक्त अनन्य मित्तल की पहल और उनकी संवेदनशीलता इस बात का संकेत है कि अब प्रशासनिक कार्यशैली में बदलाव आ रहा है – जहां "फाइलें नहीं, समाधान बोलेंगे।"
आने वाले सप्ताहों में यह देखा जाएगा कि जो निर्देश दिए गए हैं, वो धरातल पर कैसे उतारते हैं। लेकिन एक बात साफ है – जमशेदपुर प्रशासन अब "रेस्पॉन्सिव गवर्नेंस" की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
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