मांडर। राज्य में पशुपालन और कृषि से जुड़े किसानों को बाजार ले जाने के दौरान पुलिस की अवैध वसूली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मांडर विधायक और कृषि, पशुपालन सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने इस गंभीर मुद्दे पर डीजीपी अनुराग गुप्ता को पत्र लिखकर किसानों की परेशानियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
पत्र में विधायक ने साफ तौर पर कहा कि राज्य के किसान, जो खेतिहर और दुधारू पशुओं का व्यापार करने के लिए बाजार जाते हैं, उन्हें पुलिस और प्रशासनिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। पुलिस द्वारा अवैध वसूली के चलते किसानों के लिए व्यापार करना बेहद कठिन हो गया है।
किसानों में डर का माहौल
शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि इन समस्याओं के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के किसान पशुपालन को बढ़ावा देने में झिझक महसूस करते हैं। उन्होंने लिखा, "गाय, बैल, बकरी जैसे पालतू जानवरों को बाजार ले जाने के दौरान पुलिस द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली के कारण किसानों में भय का वातावरण व्याप्त हो गया है।"
इस समस्या का असर न केवल किसानों की आय पर पड़ रहा है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पशुपालन को भी प्रभावित कर रहा है।
अवैध वसूली का ऐतिहासिक संदर्भ
पशुओं की खरीद-ब्रिकी भारतीय कृषि संस्कृति का अहम हिस्सा है। इतिहास में, यह प्रक्रिया गांवों के हाट और मेलों के माध्यम से निर्बाध रूप से चलती थी। लेकिन वर्तमान में प्रशासनिक दखल और अवैध वसूली जैसी समस्याओं ने इसे जटिल बना दिया है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इन समस्याओं के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन का महत्व घट रहा है। इससे न केवल किसानों की आजीविका प्रभावित हो रही है, बल्कि पशुपालन से जुड़े उद्योगों को भी नुकसान हो रहा है।
विधायक का अनुरोध: पुलिस पर लगे लगाम
अपने पत्र में शिल्पी नेहा तिर्की ने डीजीपी से मांग की है कि वे पुलिस को अवैध वसूली रोकने के सख्त निर्देश दें। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए बाजार और हाट तक पहुंचना सरल और सुरक्षित होना चाहिए। इसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत और पारदर्शी बनाने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पुलिस और प्रशासन को किसानों के प्रति संवेदनशील बनाया जाए। इससे न केवल किसान आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
समाधान की दिशा में उठते कदम
इस मामले में राज्य सरकार का रुख सकारात्मक है। किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की जा रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जमीनी स्तर पर प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन का महत्व
पशुपालन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल किसानों की आय का स्रोत है, बल्कि दुग्ध उत्पादन, कृषि कार्य, और खाद के लिए भी उपयोगी है। यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो पशुपालन पर निर्भरता कम हो सकती है, जो कि लंबे समय में राज्य की कृषि व्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
पाठकों के लिए संदेश
अगर आप किसान हैं और आपको भी ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से संपर्क करें। आपकी राय और सुझाव से नीतियों को बेहतर बनाया जा सकता है।