Saraikela Accident: सरायकेला में हादसा! बारिश में झोपड़ी ढही, युवक दबा, फिर जो हुआ वो चौंका देगा
सरायकेला-खरसावां के चांडिल में भारी बारिश के दौरान एक झोपड़ी गिरने से युवक मलबे में दब गया। जानें कैसे चमत्कारिक रूप से उसे बचाया गया और इस हादसे की पूरी कहानी।

सरायकेला: अगर कुछ सेकंड की देरी होती, तो शायद बिट्टू मुखर्जी की जिंदगी हमेशा के लिए खत्म हो जाती! शुक्रवार की रात सरायकेला-खरसावां के चांडिल थाना क्षेत्र में नेशनल हाईवे-33 के पास एक हादसा हुआ, जिसने लोगों को सकते में डाल दिया। तेज बारिश के बीच एक झोपड़ी अचानक गिर गई, जिसमें एक युवक फंस गया। लेकिन किस्मत ने उसका साथ दिया और कुछ बहादुर लोगों ने मिलकर उसकी जान बचा ली।
बारिश, झोपड़ी और एक खौफनाक मंजर!
शुक्रवार को मूसलाधार बारिश हो रही थी। चांडिल निवासी बिट्टू मुखर्जी जमशेदपुर से काम करके लौट रहे थे। लेकिन बारिश इतनी तेज थी कि उन्होंने बीच रास्ते में ही रुकने का फैसला किया। एनएच-33 के कांदरबेड़ा चौक स्थित गोल्डन होटल के पास एक झोपड़ी में उन्होंने शरण ली।
पर कौन जानता था कि यह झोपड़ी उनके लिए मौत का जाल साबित हो सकती है? कुछ ही मिनटों में झोपड़ी भरभरा कर गिर गई और बिट्टू मुखर्जी पूरी तरह मलबे में दब गए।
कैसे बची युवक की जान?
भाग्य से बिट्टू मुखर्जी का फोन उनके पास ही था। उन्होंने तुरंत अपने दोस्त शेखर गांगुली को फोन किया। जब शेखर को यह खबर मिली, तो उन्होंने बिना समय गंवाए स्थानीय लोगों की मदद से मौके पर पहुंचकर बिट्टू को बचाने का प्रयास शुरू किया।
झोपड़ी का मलबा हटाना आसान नहीं था, क्योंकि लगातार हो रही बारिश से सबकुछ बिखर चुका था। लेकिन लोगों के प्रयासों से आखिरकार युवक को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। सिर्फ युवक ही नहीं, बल्कि उसकी मोटरसाइकिल भी सही सलामत बाहर निकाली गई।
इतिहास में ऐसे हादसे पहले भी हुए हैं!
बारिश के कारण झोपड़ियों और मकानों के गिरने की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। भारत में हर साल मानसून के दौरान ऐसे कई हादसे होते हैं, जिनमें कई लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं।
2017 में मुंबई के भिंडी बाजार में भारी बारिश के कारण एक 117 साल पुरानी बिल्डिंग गिर गई थी, जिसमें 33 लोगों की मौत हो गई थी।
2020 में बिहार और असम में बाढ़ के कारण हजारों घर ढह गए, जिससे लाखों लोग बेघर हो गए।
2022 में हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण एक होटल गिर गया, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई थी।
लेकिन सरायकेला के इस हादसे में युवक की जान बच गई, यह किसी चमत्कार से कम नहीं था!
हादसे से क्या सबक मिलता है?
बारिश के दौरान कच्चे घरों या झोपड़ियों में शरण लेने से बचें।
किसी भी आपात स्थिति में मोबाइल फोन को अपने पास रखें और तुरंत मदद लें।
अगर किसी के साथ ऐसा हादसा होता है, तो बिना देर किए पुलिस और स्थानीय प्रशासन को सूचना दें।
सरकारी आपदा राहत नंबरों को हमेशा सेव रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर मदद ली जा सके।
क्या प्रशासन उठाएगा कोई कदम?
इस हादसे के बाद सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन ऐसे कमजोर ढांचों की जांच करेगा? क्या हाईवे किनारे बनी इन अस्थायी झोपड़ियों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था होगी?
अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय लोग अब प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कैसे बच सकते हैं ऐसे हादसों से?
सरायकेला, झारखंड और भारत के अन्य राज्यों में मानसून के दौरान ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि –
हाईवे किनारे बनी कमजोर झोपड़ियों और कच्चे मकानों की पहचान कर वहां रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करे।
बारिश से पहले ऐसे क्षेत्रों में चेतावनी जारी करे, ताकि लोग सतर्क रहें।
बचाव दल और आपातकालीन सेवाओं को पहले से तैयार रखा जाए, ताकि समय रहते लोगों की जान बचाई जा सके।
बिट्टू को दोबारा मिला जीवन, लेकिन क्या अगली बार कोई इतना भाग्यशाली होगा?
इस बार तो बिट्टू मुखर्जी की किस्मत अच्छी थी, लेकिन अगर ऐसे हादसे दोबारा हुए तो क्या हर कोई इतना खुशकिस्मत होगा? प्रशासन और जनता दोनों को मिलकर ऐसे हादसों को रोकने की दिशा में काम करना होगा।
अगर आप भी बारिश के दौरान खतरनाक जगहों पर जाने से बचते हैं और सतर्क रहते हैं, तो आप अपनी और दूसरों की जान बचा सकते हैं!
तो क्या आप इस खतरे के प्रति सतर्क हैं? अपनी राय कमेंट में बताएं!
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