सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ याचिका को किया खारिज, याचिकाकर्ता ने वापस ली याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोकने के लिए दायर याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि ये कानून बिना आवश्यक बहस के पारित किए गए हैं।
कभी-कभी जनहित याचिका के नाम पर दायर की गई याचिकाओं का परिणाम उल्टा भी हो सकता है, और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा ही मामला सामने आया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लाए गए नए कानूनों को संसद में बिना जरूरी बहस के पास किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दिखाई सख्ती
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने याचिका को बिना सही अध्ययन के दाखिल करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता याचिका पर बहस करते, तो उन्हें जुर्माना लगाकर याचिका को खारिज किया जाता। लेकिन याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने याचिका को वापस ले लिया, जिससे जुर्माना नहीं लगाया गया।
नए कानूनों पर राष्ट्रपति की मुहर
पिछले साल भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक को संसद में पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन विधेयकों पर अपनी मुहर लगा दी थी। ये तीनों कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
याचिकाकर्ता की चिंता
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने आरोप लगाया था कि इन नए कानूनों को संसद में आवश्यक बहस के बिना पारित किया गया है, जिससे इनकी व्यावहारिकता पर सवाल उठते हैं। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट एक विशेषज्ञ कमिटी बनाकर इन कानूनों की जांच करे। लेकिन कोर्ट ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया।
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