Palamu Recovery: 40 लाख की हथिनी जयमति की रहस्यमयी चोरी और बरामदगी की पूरी कहानी
पलामू पुलिस ने 40 लाख की हथिनी जयमति को चोरी के बाद बरामद कर सनसनी मचा दी। बिहार-यूपी कनेक्शन से जुड़ी इस अजीबोगरीब कहानी में साझेदारी, धोखाधड़ी और पुलिसिया एक्शन सबकुछ सामने आया। पढ़ें पूरी खबर।

झारखंड के पलामू जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे राज्य ही नहीं बल्कि बिहार और उत्तर प्रदेश तक सनसनी फैला दी। मामला है एक हथिनी की चोरी और उसकी बरामदगी का। सुनने में भले यह अजीब लगे, लेकिन यह सच है कि पलामू की पुलिस ने 40 लाख रुपये की कीमत वाली मादा हाथी जयमति को बरामद किया है।
चोरी नहीं, साझेदारी का झगड़ा निकला असली कारण
मामले की शुरुआत तब हुई जब विंध्याचल, उत्तर प्रदेश निवासी नरेंद्र कुमार शुक्ला ने पलामू के सदर थाना में केस दर्ज कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी हथिनी जयमति को अभियुक्तों ने बिना सूचना दिए कहीं ले जाकर बेच दिया है।
29 सितंबर को गुप्त सूचना पर पलामू पुलिस सक्रिय हुई और एसपी के निर्देश में एक विशेष टीम बनाई गई। जांच-पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। हथिनी जयमति चोरी नहीं हुई थी, बल्कि यह मामला साझेदारों के बीच हुए धोखाधड़ी का निकला।
हथिनी की कीमत और विवाद की जड़
पुलिस जांच में पता चला कि जयमति हथिनी को शुरुआती दौर में चार साझेदारों ने मिलकर लगभग 40 लाख रुपये में खरीदा था। लेकिन विवाद तब खड़ा हुआ जब तीन साझेदारों ने, चौथे साझेदार नरेंद्र कुमार शुक्ला को बिना बताए, हथिनी को बिहार के छपरा जिले के पहाड़पुर निवासी गोरख सिंह उर्फ अभिमन्यु को 27 लाख रुपये में बेच दिया।
यही लेन-देन इस पूरे मामले की जड़ बना। शुक्ला को जब हथिनी की बिक्री की जानकारी मिली तो उन्होंने इसे चोरी मानते हुए थाने में केस दर्ज करा दिया।
बिहार-यूपी-झारखंड कनेक्शन
यह पूरा मामला महज एक जानवर की चोरी नहीं बल्कि तीन राज्यों के आपसी नेटवर्क का खुलासा करता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में हाथियों की खरीद-बिक्री अक्सर धार्मिक आयोजनों, शादियों और मेलों से जुड़ी होती है। इतिहास गवाह है कि हथिनी और हाथी भारतीय समाज में शाही वैभव और धार्मिक आस्था का प्रतीक रहे हैं।
मुगलकाल से लेकर ब्रिटिश शासन तक, हाथियों का इस्तेमाल न केवल युद्ध में बल्कि शान-ओ-शौकत दिखाने के लिए भी किया जाता था। यही कारण है कि आज भी ग्रामीण इलाकों और धार्मिक स्थलों पर हाथियों का महत्व खासा बना हुआ है।
पुलिस ने दिखाई तत्परता
पलामू पुलिस ने जब छानबीन की तो यह साफ हुआ कि हथिनी जयमति चोरी नहीं बल्कि विवादित तरीके से बेची गई थी। पुलिस ने हथिनी को अमनौर थाना क्षेत्र से जब्त कर लिया।
हालांकि, फिलहाल हथिनी को कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक गोरख सिंह उर्फ अभिमन्यु की ही जिम्मेदारी में सौंप दिया गया है। पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
बड़ा सवाल – क्या वन्यजीवों की खरीद-बिक्री सुरक्षित है?
जयमति की कहानी केवल एक पारिवारिक या साझेदारी विवाद तक सीमित नहीं है। यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि किस तरह लाखों रुपये मूल्यवान वन्यजीवों का व्यापार निजी स्तर पर होता है।
कानूनन हाथियों और हथिनियों की खरीद-बिक्री कड़े नियमों के अधीन है। लेकिन इसके बावजूद कई बार यह कारोबार ऐसे विवादों और अपराधों को जन्म देता है।
स्थानीय लोग और चर्चा का माहौल
पलामू से लेकर छपरा तक इस घटना ने स्थानीय लोगों को चौंका दिया है। ग्रामीणों के बीच चर्चा है कि आखिर एक हथिनी को चोरी या बिक्री की तरह विवादित तरीके से कैसे ले जाया जा सकता है।
लोगों का मानना है कि यह केवल व्यापारिक लालच का परिणाम है, जिसने एक जीव को इंसानों के झगड़े का हिस्सा बना दिया।
हथिनी जयमति की बरामदगी ने न केवल पलामू पुलिस की तत्परता साबित की है, बल्कि यह भी दिखाया है कि बड़े जानवरों के अवैध या विवादित सौदों में कितनी गहरी परतें छुपी होती हैं।
अब देखना यह होगा कि पुलिस की आगे की जांच में कौन-कौन दोषी साबित होते हैं और जयमति का भविष्य क्या होगा।
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