OLA Engineer Suicide : CEO भाविश अग्रवाल समेत टॉप अधिकारियों के खिलाफ इंजीनियर आत्महत्या मामले में FIR - 28 पेज के सुसाइड नोट में उजागर हुई कार्यस्थल की डार्क सच्चाई
क्या ओला इलेक्ट्रिक में कार्यस्थल उत्पीड़न के चलते इंजीनियर ने की आत्महत्या? 28 पेज के सुसाइड नोट में CEO भाविश अग्रवाल और वरिष्ठ अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप, जानें पूरा मामला और कंपनी का हाईकोर्ट का रास्ता।
बंगलूरू, 20 अक्टूबर 2025: इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी ओला इलेक्ट्रिक के संस्थापक और CEO भाविश अग्रवाल समेत कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एक 38 वर्षीय इंजीनियर की आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। बंगलूरू पुलिस ने यह कार्रवाई 6 अक्टूबर को सुभ्रामण्यपुरा पुलिस स्टेशन में की थी, लेकिन मामला अब सार्वजनिक हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
मृतक के. अरविंद (38 वर्ष) 2022 से ओला इलेक्ट्रिक के कोरमंगला स्थित कार्यालय में होमोलोगेशन इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। 28 सितंबर 2025 को उन्होंने चिकलासंद्रा स्थित अपने फ्लैट में जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। उन्हें तुरंत महाराजा अग्रसेन अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
28 पेज के सुसाइड नोट में उजागर हुई डार्क सच्चाई
पुलिस को अरविंद के कमरे से 28 पेज का हस्तलिखित सुसाइड नोट मिला, जो उनके भाई अश्विन कन्नन को संबोधित था। इस नोट में उन्होंने कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए:
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लगातार मानसिक उत्पीड़न और अपमान
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वेतन और भत्तों को अनुचित तरीके से रोकना
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कार्यस्थल पर स्थायी भय का माहौल
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पेशेवर जीवन को नष्ट करने की साजिश
FIR में किसके खिलाफ कौन सी धाराएं?
मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्नलिखित धाराओं के तहत दर्ज किया गया:
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धारा 108: आत्महत्या के लिए उकसाना
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धारा 3(5): साझा उद्देश्य
आरोपियों की सूची:
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भाविश अग्रवाल (CEO, ओला इलेक्ट्रिक)
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सुभ्रत कुमार दास (होमोलोगेशन इंजीनियरिंग हेड)
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अन्य अनाम अधिकारी
संदिग्ध भुगतान: मौत के बाद 17.46 लाख रुपये का ट्रांसफर
मामले की एक रहस्यमयी घटना यह सामने आई कि अरविंद की मौत के दो दिन बाद (30 सितंबर) उनके बैंक खाते में 17.46 लाख रुपये NEFT के माध्यम से ट्रांसफर किए गए।
परिवार ने इस भुगतान को अत्यंत संदिग्ध बताते हुए आरोप लगाया कि यह मौत के बाद कंपनी की ओर से आंतरिक कमियों को छिपाने का प्रयास हो सकता है। परिवार ने कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन उन्हें केवल अस्पष्ट जवाब मिले।
ओला इलेक्ट्रिक का पक्ष और हाईकोर्ट का रास्ता
ओला इलेक्ट्रिक ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया:
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"अरविंद ने कभी भी उत्पीड़न या रोजगार संबंधी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई"
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"उनकी भूमिका में शीर्ष प्रबंधन (भाविश अग्रवाल सहित) से कोई सीधा संपर्क नहीं था"
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"मौत के बाद परिवार को तत्काल सहायता के रूप में पूर्ण और अंतिम निपटान का भुगतान किया गया"
कंपनी ने FIR को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है और उसे इस मामले में सुरक्षात्मक आदेश भी प्राप्त हो चुके हैं।
पुलिस जांच की वर्तमान स्थिति
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FIR अश्विन कन्नन (मृतक के भाई) की शिकायत पर दर्ज की गई
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सभी आरोपी अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं
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जांच जारी है और आवश्यकता पड़ने पर सभी आरोपियों से पूछताछ की जाएगी
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HR विभाग से भी स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है
क्या कहता है उद्योग जगत?
इस मामले ने पूरे टेक और स्टार्टअप उद्योग में हलचल मचा दी है। कार्यस्थल संस्कृति और कर्मचारी कल्याण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है और पुलिस जांच किन नतीजों पर पहुंचती है। यह मामला न सिर्फ एक कंपनी बल्कि पूरे उद्योग की कार्यस्थल संस्कृति की परीक्षा ले रहा है।
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