Neeraj Chopra Honoured : हार के बाद भी सबसे बड़ा सम्मान! ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना ने बनाया लेफ्टिनेंट कर्नल मानद, रक्षा मंत्री ने किया औपचारिक सम्मान
ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता नीरज चोपड़ा को 22 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल मानद (Honorary Lieutenant Colonel) के पद से औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया। चोपड़ा को यह सम्मान हाल ही में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उनके खराब प्रदर्शन के तुरंत बाद मिला है। वह 2016 में नायब सूबेदार के रूप में सेना में शामिल हुए थे।
जीत के बाद सम्मान मिलना तो स्वाभाविक है, लेकिन जब हाल ही में एक खिलाड़ी ने अपने करियर का सबसे खराब प्रदर्शन किया हो, और उसके ठीक बाद उसे देश की सर्वोच्च सेवा में से एक का इतना बड़ा सम्मान मिले, तो यह न सिर्फ अद्वितीय होता है, बल्कि यह भी बताता है कि उनके द्वारा दिए गए योगदान का मूल्य कितना बड़ा है। हम बात कर रहे हैं टोक्यो ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की, जिन्हें मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल मानद (Honorary Lieutenant Colonel) के पद से औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया।
इस विशेष कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी समेत सेना के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। द गजट ऑफ इंडिया के अनुसार, चोपड़ा की यह नियुक्ति आधिकारिक रूप से 16 अप्रैल से ही प्रभावी हो गई है।
सूबेदार मेजर से लेफ्टिनेंट कर्नल तक का तेज सफर
नीरज चोपड़ा का भारतीय सेना में शामिल होना और पदोन्नति का सफर अत्यंत प्रेरणादायक रहा है। वह 26 अगस्त 2016 को बतौर नायब सूबेदार भारतीय सेना में शामिल हुए थे। इसके बाद उनकी सफलताएं उन्हें आगे बढ़ाती गईं। 2021 में उन्हें सूबेदार और 2022 में सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया। अब लेफ्टिनेंट कर्नल का यह मानद पद उनके सैन्य और खेल दोनों करियर की ऊंचाइयों को दर्शाता है।
इससे पहले भी नीरज चोपड़ा को कई बड़े राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें 2018 में अर्जुन पुरस्कार, 2021 में खेल रत्न और 2022 में पद्मश्री शामिल हैं। टोक्यो ओलंपिक 2020 में उनकी ऐतिहासिक जीत के बाद सेना ने उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया था।
हार को स्वीकार किया: यह 'जीवन और खेल' है
गौर करने वाली बात यह है कि नीरज चोपड़ा को यह बड़ा सैन्य सम्मान ठीक उस समय मिला है, जब वह विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने प्रदर्शन के कारण चर्चा में थे। इस चैंपियनशिप में वह 84.03 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ आठवें स्थान पर रहे, जो उनके लगातार 26 पोडियम फिनिश के सिलसिले को खत्म करता है। यह सिलसिला उनके टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक से ठीक पहले 2021 में कोर्टेन खेलों से शुरू हुआ था।
चोपड़ा ने अपने प्रदर्शन पर विचार करते हुए ईमानदारी से स्वीकार किया कि वह पीठ की समस्या से जूझ रहे थे, लेकिन उन्होंने परिणाम को स्वीकार किया और कहा कि यही 'जीवन और खेल' है। सेना द्वारा दिया गया यह मानद पद उनके सिर्फ एक प्रदर्शन को नहीं, बल्कि देश के लिए उनके समग्र योगदान और समर्पण को पहचानता है। यह सम्मान अन्य युवा एथलीटों को भी सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा।
आपकी राय में, नीरज चोपड़ा जैसे शीर्ष एथलीटों को उनकी खेल प्रतिभा के अलावा भारतीय सेना में मानद पद देने के पीछे सरकार और सैन्य नेतृत्व के कौन से दो सबसे बड़े उद्देश्य होते हैं?
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