Nawada: जिलाधिकारी ने दी सख्त चेतावनी, खेतों में पराली जलाने पर होगी हार्वेस्टर की जब्ती
नवादा जिले में जिलाधिकारी ने हार्वेस्टर संचालकों से पराली जलाने पर कड़ी चेतावनी दी। अब खेतों में पराली जलाने पर हार्वेस्टर जब्त किया जाएगा।
नवादा जिले के जिलाधिकारी श्री रवि प्रकाश ने हाल ही में कृषि विभाग के अधिकारियों और हार्वेस्टर संचालकों के साथ बैठक आयोजित की। इस बैठक में मुख्य रूप से पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और इसके प्रबंधन पर चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने इस दिशा में कड़ी चेतावनी देते हुए स्पष्ट किया कि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
पराली जलाने से होने वाले खतरे
जिलाधिकारी ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि पराली जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है, जिससे सूक्ष्म जीवाणु और केंचुए मर जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी की उर्वरता में भारी गिरावट आती है। उन्होंने यह भी बताया कि जलने से जैविक कार्बन नष्ट हो जाता है, जो हमारी मिट्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस प्रक्रिया से मिट्टी की गुणवत्ता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, जो कृषि उत्पादन को प्रभावित करता है।
हार्वेस्टर मालिकों के लिए महत्वपूर्ण निर्देश
बैठक में जिलाधिकारी ने कम्बाईन हार्वेस्टर संचालकों को कड़ा निर्देश दिया कि वे फसल कटाई से पहले किसानों से शपथ पत्र प्राप्त करें, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान पराली नहीं जलाएंगे। इसके बाद, यदि किसी खेत में पराली जलाने का मामला सामने आया, तो संबंधित किसानों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी और हार्वेस्टर भी जप्त कर लिया जाएगा।
जिलाधिकारी ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभिन्न यंत्रों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रोटरी मल्चर, और स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम। उन्होंने इन यंत्रों को कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों से खरीदने और इस्तेमाल करने की सलाह दी।
जागरूकता कार्यक्रम और किसानों के लिए प्रशिक्षण
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिलाधिकारी ने आत्मा और केवीके के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, किसान चौपाल और वर्मी कंपोस्ट निर्माण के लिए प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बेलर मशीन का उपयोग करके खेतों की सफाई की जाए, जिससे पराली जलाने की जरूरत ही न पड़े।
स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग से भी कहा कि वे एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से किसानों और स्थानीय लोगों को पराली जलाने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूक करें। धूल और धुएं से होने वाली बीमारियों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी, ताकि वे इस प्रथा से बच सकें।
फसल अवशेष प्रबंधन का महत्व
जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि फसल अवशेष प्रबंधन केवल पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि कृषि उत्पादन और किसानों के लाभ के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है, तो इसका प्रत्यक्ष असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ता है।
नवादा जिले में बदलाव की उम्मीद
यह बैठक नवादा जिले में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि यहां के किसान अक्सर पराली जलाने की प्रथा अपनाते हैं। जिले में लगातार बढ़ती हुई प्रदूषण की समस्या को देखते हुए यह कदम आवश्यक था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इस पहल से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी, और किसानों को बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन की दिशा में प्रशिक्षित किया जाएगा।
एक स्वस्थ पर्यावरण की ओर कदम
नवादा जिले में इस पहल के तहत यदि हार्वेस्टर संचालक और किसान सही तरीके से फसल अवशेष प्रबंधन करते हैं, तो न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होगी। यह कदम न सिर्फ नवादा जिले के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बन सकता है।
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