गालूडीह: बड़बिल रंकणी डूंगरी पर मां दुर्गा की पूजा, 700 फीट ऊंचाई पर भक्तों की श्रद्धा का केंद्र

गालूडीह के बड़बिल रंकणी डूंगरी में मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान के साथ होती है। 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

Sep 24, 2024 - 13:17
Sep 24, 2024 - 13:39
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गालूडीह: बड़बिल रंकणी डूंगरी पर मां दुर्गा की पूजा, 700 फीट ऊंचाई पर भक्तों की श्रद्धा का केंद्र
गालूडीह: बड़बिल रंकणी डूंगरी पर मां दुर्गा की पूजा, 700 फीट ऊंचाई पर भक्तों की श्रद्धा का केंद्र

झारखंड के घाटशिला प्रखंड के बड़बिल रंकणी डूंगरी में स्थित मां दुर्गा का मंदिर पिछले कई वर्षों से श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर 700 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जहां मां रंकणी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। स्थानीय लोग इसे मां दुर्गा का एक रूप मानते हैं, और यहां की पूजा-अर्चना में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।

मंदिर की कहानी काफी दिलचस्प है। कहा जाता है कि मां रंकणी एक चट्टान पर स्नान करती थीं। एक दिन, तत्कालीन गालूडीह के जमींदार, जिसे नदी बाबू के नाम से जाना जाता है, ने इस चट्टान के ऊपर नहाते हुए एक महिला को देखा। यह देखकर उनकी जिज्ञासा बढ़ गई कि घने जंगलों के बीच कौन महिला नहाने की हिम्मत करता है। इस घटना के बाद, नदी बाबू को मां का सपना आया, जिसमें मां ने कहा कि पहाड़ी के ऊपर दुर्गा पूजा की जाए। इसके बाद से ही इस पहाड़ी पर कलश स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा की शुरुआत की गई।

हालांकि, कुछ वर्षों के लिए यह पूजा बंद हो गई थी, लेकिन वर्ष 2000 में प्रवासी श्रद्धालु माताजी ने पूर्ण पूजा की शुरुआत की। उनके निधन के बाद देवी मठ रामकृष्ण विवेकानंद शारदा विद्यापीठ के महाराज सुतपानंद जी ने रीति-रिवाज के साथ पूजा का कार्य आरंभ किया।

यहां की पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों के लिए डूंगरी के ऊपर पानी और रहने की व्यवस्था की गई है। डूंगरी की रक्षा मां खुद करती हैं। यहां तक कि पत्थर माफियाओं ने जब डूंगरी के आसपास के पत्थरों को काटने की कोशिश की, तो नाग सांप निकल आया, जिससे वे सफल नहीं हो सके। ग्रामीणों का मानना है कि नाग सांप के डर से इस पहाड़ी को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।

इस स्थान पर चट्टान की पूजा की जाती है। धीरे-धीरे, मां दुर्गा की प्रतिमा भी यहां स्थापित की गई है। मां दुर्गा की कृपा से यहां के लोग नियमित रूप से आते-जाते हैं और किसी प्रकार की कोई परेशानी महसूस नहीं करते।

यहां की पूजा में किसी प्रकार की बलि नहीं चढ़ाई जाती, जो कि अन्य कई स्थानों की पूजा परंपरा से भिन्न है। श्रद्धालुओं ने बताया कि ऊंचाई पर पहुंचने के बाद उन्हें ऐसा लगता है कि घर में कोई है और किसी प्रकार का कोई डर नहीं लगता। डूंगरी की दुर्गा पूजा को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

इस मंदिर की आस्था और मान्यता अब केवल स्थानीय लोगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया है। लोग यहां मां दुर्गा की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए आते हैं।

बड़बिल रंकणी डूंगरी का यह मंदिर न केवल श्रद्धा का स्थान है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी लोगों को आकर्षित करती है। पहाड़ी के शिखर से चारों ओर का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला है, जो भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। इस प्रकार, बड़बिल रंकणी डूंगरी में मां दुर्गा की पूजा एक अद्भुत अनुभव बन गई है, जो न केवल आस्था को मजबूत करती है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी जीवित रखती है।

गालूडीह के बड़बिल रंकणी डूंगरी में मां दुर्गा की पूजा विधि-विधान से होती है। यहां की कहानी और श्रद्धालुओं का आस्था का यह स्थल लोगों को आकर्षित कर रहा है।

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Chandna Keshri चंदना केशरी, जो गणित-विज्ञान में इंटरमीडिएट हैं, स्थानीय खबरों और सामाजिक गतिविधियों में निपुण हैं।