हजारों महिलाएं भूखी-प्यासी इंतजार में, मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना में पोटका ब्लॉक का बड़ा फेल!

झारखंड की मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना के तहत पोटका ब्लॉक के हठीबिंदा पंचायत में हजारों महिलाएं दो दिन से भूखी-प्यासी बैठी हैं, लेकिन अभी तक एक भी ऑनलाइन आवेदन नहीं हो सका। जानिए पूरी खबर।

Aug 4, 2024 - 15:48
Aug 4, 2024 - 15:54
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हजारों महिलाएं भूखी-प्यासी इंतजार में, मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना में पोटका ब्लॉक का बड़ा फेल!
हजारों महिलाएं भूखी-प्यासी इंतजार में, मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना में पोटका ब्लॉक का बड़ा फेल!

झारखंड – राज्य की महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना में पोटका ब्लॉक के हठीबिंदा पंचायत में बड़ा फेल देखने को मिल रहा है। इस योजना के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को हर महीने ₹1000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जानी है।

योजना का उद्देश्य

मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना का मुख्य उद्देश्य झारखंड की गरीब महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इसके तहत राज्य की उन सभी महिलाओं को जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही हैं, उन्हें ₹1000 प्रति महीने की सहायता राशि दी जाती है। इस योजना का मकसद महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनके जीवन स्तर में सुधार करना है।

पोटका ब्लॉक में हठीबिंदा पंचायत की स्थिति

हालांकि, पोटका ब्लॉक के हठीबिंदा पंचायत में यह योजना अपने उद्देश्य को पूरा करती नजर नहीं आ रही है। पिछले दो दिनों से हजारों महिलाएं सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक भूखी-प्यासी बैठी हैं, लेकिन अभी तक एक भी ऑनलाइन आवेदन नहीं हो सका है।

महिलाओं की व्यथा

महिलाएं सुबह से ही अपने घरों से निकल कर पंचायत कार्यालय में जमा हो जाती हैं, उम्मीद में कि उनका आवेदन जल्द ही पूरा हो जाएगा। लेकिन तकनीकी खामियों और व्यवस्थागत लापरवाही के कारण अभी तक कोई प्रगति नहीं हो सकी है।

प्रशासनिक विफलता

यह स्थिति न केवल महिलाओं के धैर्य की परीक्षा ले रही है, बल्कि प्रशासन की कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़ा कर रही है। तकनीकी समस्याओं और संसाधनों की कमी के कारण महिलाएं अपने आवेदनों को ऑनलाइन सबमिट नहीं कर पा रही हैं।

स्थानीय प्रतिक्रिया

स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक विफलता पर नाराजगी जाहिर की है। एक महिला ने कहा, "हम सुबह से ही यहां भूखे-प्यासे बैठे हैं। हमें बताया गया था कि इस योजना से हमें आर्थिक सहायता मिलेगी, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।"

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।