Jharkhand Efforts: मलेशिया में फंसे 61 मजदूर ,जिनमे 52 झारखंडी । 11 से 20 दिसंबर 2024 के बीच घर वापसी की संभावना
झारखंड के 52 मजदूरों सहित मलेशिया में फंसे 61 भारतीय मजदूरों की घर वापसी की राह हुई आसान। सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की कोशिशों से 11-20 दिसंबर के बीच सभी मजदूर लौटेंगे भारत।
झारखंड के गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के प्रयासों से मलेशिया में फंसे 61 मजदूरों की घर वापसी की राह खुल गई है। इनमें से 52 मजदूर झारखंड के विभिन्न जिलों से हैं। सांसद के प्रयासों के चलते सभी मजदूर 11 से 20 दिसंबर 2024 के बीच वतन लौट आएंगे।
मजदूरों की पीड़ा और वतन वापसी की गुहार
जुलाई 2023 में ये मजदूर रोजगार की तलाश में मलेशिया पहुंचे थे। लेकिन वहां पहुंचते ही इन्हें दयनीय स्थिति का सामना करना पड़ा। न वेतन मिला, न भोजन की व्यवस्था। इलाज के लिए भी कोई मदद नहीं थी।
बोकारो के गणेश महतो ने बताया,
"हमारा जीवन जैसे ठहर सा गया। धमकियां मिलती रहीं, भूख और बीमारी ने हालात और बदतर कर दिए। गिरिडीह के सांसद को जब हमने अपनी स्थिति बताई, तो हमें राहत की उम्मीद जगी।"
सांसद का जोरदार प्रयास
सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सोमवार को संसद में नियम 377 के तहत मजदूरों की दुर्दशा का मामला उठाया। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को कई बार पत्र लिखकर और व्यक्तिगत मुलाकातों में मजदूरों की वापसी की मांग की। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय और केंद्र सरकार के आला अधिकारियों से संपर्क कर कानूनी प्रक्रियाओं को तेज कराया।
भारतीय दूतावास ने बढ़ाया मदद का हाथ
वर्तमान में सभी मजदूर मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर स्थित भारतीय दूतावास में ठहरे हुए हैं। वहां उन्हें भोजन और चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। कानूनी प्रक्रियाओं के पूरा होते ही सभी मजदूरों को भारत लाया जाएगा।
झारखंड के विभिन्न जिलों से हैं मजदूर
झारखंड के इन 52 मजदूरों में सर्वाधिक 27 मजदूर हजारीबाग से हैं। गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग के मजदूरों की संख्या इस प्रकार है:
- गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड से: 7 मजदूर
- बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड से: 18 मजदूर
- हजारीबाग जिले के टाटीझरिया प्रखंड से: 16 मजदूर
- हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड से: 11 मजदूर
अन्य मजदूर ओडिशा, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना से हैं।
मलेशिया में मजदूरों की स्थिति: एक काला अध्याय
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय मजदूरों को विदेशों में ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। ऐतिहासिक रूप से भी प्रवासी मजदूर अक्सर शोषण और कठिनाइयों का शिकार होते रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है:
"श्रमिकों को विदेश में रोजगार देने से पहले उनकी सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।"
सांसद ने जताया आभार
सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने इस सफलता के लिए भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा,
"यह मामला मेरे लिए बेहद संवेदनशील था। मजदूरों की घर वापसी सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता थी।"
क्या सीखें इस घटना से?
यह घटना बताती है कि प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर सतर्कता और जागरूकता जरूरी है। साथ ही, सरकार और सांसदों की ओर से सक्रिय हस्तक्षेप से बड़ी समस्याओं का समाधान संभव है।
आपका क्या कहना है?
क्या आपको लगता है कि मजदूरों के लिए विदेश जाने से पहले कड़े सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर दें।
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