Jharkhand Shock: बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी की तैयारी, 6.65 रुपये प्रति यूनिट की जगह 9.25 रुपये प्रति यूनिट चुकाने होंगे।
झारखंड में बिजली की दरों में 40% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव। जेबीवीएनएल ने 2025-26 के लिए टैरिफ पिटीशन दायर की। शहरी उपभोक्ताओं पर महंगे बिजली बिल का संकट। जानें सरकार का रुख और आयोग का फैसला।
झारखंड में बिजली उपभोक्ताओं को झटका लग सकता है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने 2025-26 के लिए बिजली दरों में भारी वृद्धि का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) के समक्ष रखा है। यदि यह प्रस्ताव मंजूर हुआ तो शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को 6.65 रुपये प्रति यूनिट की जगह 9.25 रुपये प्रति यूनिट चुकाने होंगे।
प्रस्ताव में क्या है खास?
- 40% तक बिजली दरों में बढ़ोतरी का सुझाव।
- शहरी उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में सबसे अधिक वृद्धि।
- 13,000 करोड़ रुपये के वार्षिक रिसोर्स गैप को पाटने के लिए यह प्रस्ताव।
जेबीवीएनएल का कहना है कि यह रिसोर्स गैप बिजली खरीदने और बेचने के बीच राजस्व में भारी कमी के कारण है।
हेमंत सरकार का वादा, क्या निभा पाएगी?
झारखंड सरकार ने उपभोक्ताओं को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा पहले ही कर रखा है। साथ ही, 400 यूनिट तक की खपत पर सब्सिडी भी जारी रहेगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि सब्सिडी का बोझ सरकार कितने समय तक वहन कर पाएगी?
बिजली दरों में आखिरी बदलाव कब हुआ?
पिछली बार सितंबर 2023 में जारी टैरिफ ऑर्डर में आयोग ने किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी को खारिज कर दिया था। उस समय उपभोक्ताओं ने राहत की सांस ली थी, लेकिन मौजूदा स्थिति में बिजली की बढ़ती लागत और राजस्व घाटे ने कंपनियों को मजबूर कर दिया है।
बिजली संकट का इतिहास
झारखंड जैसे राज्य में बिजली की समस्या नई नहीं है।
- 2000 में झारखंड के गठन के समय बिजली आपूर्ति और वितरण की स्थिति खराब थी।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती आम थी।
- बीते वर्षों में वितरण व्यवस्था में सुधार हुआ, लेकिन लागत में बढ़ोतरी ने संकट को और गहरा कर दिया।
आयोग का फैसला और उपभोक्ता की राय
जेएसईआरसी इस प्रस्ताव पर प्रमंडलवार जनसुनवाई करेगा।
- उपभोक्ताओं की राय ली जाएगी।
- आयोग तय करेगा कि कितनी बढ़ोतरी उचित है।
उपभोक्ताओं पर क्या होगा असर?
यदि यह प्रस्ताव पास हो गया, तो:
- शहरी क्षेत्रों में बिजली बिल में भारी बढ़ोतरी होगी।
- ग्रामीण उपभोक्ताओं पर इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
- औद्योगिक इकाइयों की लागत बढ़ेगी, जिससे उत्पादों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
जेबीवीएनएल की चुनौती
जेबीवीएनएल को हर साल वित्तीय वर्ष का लेखा-जोखा आयोग के समक्ष पेश करना होता है। 2025-26 के लिए प्रस्ताव सोमवार को पेश किया गया। अब यह देखना होगा कि आयोग और सरकार कैसे इस मुद्दे को संतुलित करते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है,
"राजस्व घाटे की समस्या को केवल दरें बढ़ाकर नहीं सुलझाया जा सकता। बिजली चोरी और वितरण में हो रहे नुकसान को रोकना बेहद जरूरी है।"
आपका क्या कहना है?
क्या बिजली की दरों में यह बढ़ोतरी वाजिब है? क्या सरकार को उपभोक्ताओं के लिए राहत के उपाय करने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर दें।
नोट: इस बढ़ोतरी के साथ क्या झारखंड का बिजली संकट और गहराएगा या उपभोक्ताओं को इसका समाधान मिलेगा, यह देखने वाली बात होगी।
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