Nawada Inspection: नवादा में आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच पर डीएम ने दिया जोर, योजनाओं पर सख्त निर्देश

नवादा के डीएम रवि प्रकाश ने आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच को प्राथमिकता देते हुए महिला पर्यवेक्षकों और सीडीपीओ को सख्त निर्देश दिए। जानें योजनाओं की समीक्षा और भविष्य की योजना।

Dec 21, 2024 - 17:08
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Nawada Inspection: नवादा में आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच पर डीएम ने दिया जोर, योजनाओं पर सख्त निर्देश
Nawada Inspection: नवादा में आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच पर डीएम ने दिया जोर, योजनाओं पर सख्त निर्देश

नवादा जिले में बाल विकास परियोजना (ICDS) के तहत संचालित योजनाओं और सेवाओं की समीक्षा बैठक जिला पदाधिकारी रवि प्रकाश की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में आंगनबाड़ी केंद्रों के कार्यों और उनकी मौजूदा स्थिति पर विस्तृत चर्चा की गई। डीएम ने महिला पर्यवेक्षकों और सीडीपीओ को जांच और निरीक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया।

जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति: क्या कहते हैं आंकड़े?

  • कुल केंद्रों की संख्या: नवादा जिले में कुल 2670 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं।
  • भवन की उपलब्धता: इनमें से 1067 केंद्रों का अपना भवन है, जबकि अन्य केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं।
  • पंजीकरण की स्थिति:
    • शून्य से 1 वर्ष वाले बच्चों के लिए 10409 लाभुक मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में पंजीकृत हैं।
    • 1 से 2 वर्ष की आयु के बच्चों में 165 लाभुकों का पंजीकरण हुआ है।

डीएम के निर्देश: सुधार और निरीक्षण पर जोर

जिला पदाधिकारी ने महिला पर्यवेक्षकों और सीडीपीओ को कड़े निर्देश दिए कि आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति में सुधार लाने के लिए साप्ताहिक निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए।

  1. पोषाहार वितरण: पोषण आहार के वितरण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
  2. पठन-पाठन: बच्चों की पढ़ाई और उनके विकास से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखी जाए।
  3. टीएचआर डेटा अपलोड: महिला पर्यवेक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा वितरित टीएचआर (टेक होम राशन) का डेटा नियमित रूप से अपलोड हो।
  4. शौचालय और जल सुविधा: सभी केंद्रों पर शौचालय निर्माण और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

कुपोषण पर विशेष ध्यान

डीएम ने महिला पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया कि वे अपने केंद्रों पर अति कुपोषित बच्चों की पहचान करें और उन्हें इलाज के लिए एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) भेजना सुनिश्चित करें।

  • वजन मशीन की उपलब्धता: हर आंगनबाड़ी केंद्र पर वजन मशीन की उपलब्धता अनिवार्य की गई है।
  • बाल पोषण: कुपोषित बच्चों की पहचान और उनके पोषण स्तर को सुधारने के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी।

इतिहास: आंगनबाड़ी सेवाओं का महत्व

भारत में आंगनबाड़ी सेवाएं 1975 में शुरू की गई थीं। इसका उद्देश्य था कि बाल पोषण, महिला सशक्तिकरण, और मातृ स्वास्थ्य को बेहतर किया जाए। नवादा जैसे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों का महत्व अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि यह बच्चों और माताओं को आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है।

समीक्षा बैठक: योजनाओं पर गहराई से चर्चा

बैठक के दौरान डीएम ने स्पष्ट किया कि सेवाओं और योजनाओं का सही क्रियान्वयन सभी सीडीपीओ और पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी है।

  • समयबद्ध कार्य: सभी योजनाओं को तय समयसीमा में लागू किया जाना चाहिए।
  • भविष्य की योजना: डीएम ने सुझाव दिया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के लिए सरकार से अतिरिक्त बजट की मांग की जाएगी।

महिला पर्यवेक्षकों की भूमिका

महिला पर्यवेक्षक आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। डीएम ने उन्हें हर दिन 5 केंद्रों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया।

  • केंद्र पर उपस्थिति: सेविकाओं और सहायिकाओं की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
  • जनता की भागीदारी: केंद्रों की समस्याओं को हल करने के लिए स्थानीय समुदाय को भी जोड़ा जाए।

नवादा: बाल विकास परियोजना का भविष्य

इस समीक्षा बैठक के बाद नवादा के आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति में सुधार की उम्मीद है। डीएम रवि प्रकाश की सख्ती और उनके निर्देशों से बाल विकास परियोजना की योजनाओं का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा।

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