Jamshedpur: 'संवाद 2024' में झलकेगी आदिवासी संस्कृति की अनोखी छवि
जमशेदपुर के गोपाल मैदान में 15 से 19 नवंबर तक आयोजित होने वाले 'संवाद 2024' में 168 जनजातियों का संगम, कला, व्यंजन, संगीत, और सांस्कृतिक प्रदर्शनों से भरपूर। जानें आदिवासी संस्कृति की समृद्ध झलकियाँ।
जमशेदपुर,14 नवंबर 2024: जमशेदपुर में 15 नवंबर से 'संवाद 2024' का आगाज़ होने जा रहा है, जो भारत की 168 जनजातियों को एक मंच पर लाकर उनकी अनोखी और रंगीन संस्कृति को पेश करेगा। इस पाँच दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आदिवासी नायक धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में किया जा रहा है, जहाँ 32 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 351 नगाड़ों की गूँज के बीच उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। यह वर्ष 'संवाद' का ग्यारहवां संस्करण है और इसने अब तक भारत की 705 में से 253 जनजातियों को एक मंच पर लाने में सफलता पाई है।
आदिवासी संस्कृति का महोत्सव
संवाद 2024, जो 15 से 19 नवंबर तक गोपाल मैदान में चलेगा, आदिवासी जीवन, उनके परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों की विशेष झलक प्रस्तुत करेगा। यह अनोखा आयोजन सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि आदिवासी पहचान, कला, संगीत, और खानपान का एक अद्भुत संगम भी है। संवाद के इस संस्करण में 2,500 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे, जो जनजातीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को दुनिया के सामने पेश करेंगे। इसके माध्यम से आदिवासी समुदायों की प्रेरणादायक कहानियों और उनकी सशक्त आवाज़ों को पहचान और सम्मान मिलेगा।
पारंपरिक कला, शिल्प और रसोई का अनूठा संगम
इस बार गोपाल मैदान में 45 स्टॉल लगाए जाएंगे, जिनमें 117 जनजातीय कारीगर अपने कला और शिल्प का प्रदर्शन करेंगे। ये हस्तनिर्मित उत्पाद, घर की सजावट से लेकर पारंपरिक परिधानों तक, जनजातीय संस्कृति की अनोखी झलक देंगे। आदिवासी चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित 31 स्टॉल लगाए जाएंगे, जहाँ आदिवासी चिकित्सक अपने ज्ञान को औषधीय पौधों के माध्यम से प्रदर्शित करेंगे। आदिवासी रसोइयों के लिए भी एक विशेष आतिथ्य क्षेत्र स्थापित किया गया है, जहाँ विभिन्न जनजातियों के पारंपरिक व्यंजनों को प्रदर्शित किया जाएगा। यह मेले के आकर्षण को और बढ़ा देगा क्योंकि ज़ोमैटो ऐप पर विशेष ‘दिन का मेनू’ भी उपलब्ध होगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और संगीत का अनूठा अनुभव
हर शाम 6 से 9 बजे तक, 30 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखने का अवसर मिलेगा। शाम को नेगी, हाजोंग, कोकनी, परजा जैसे कई जनजातीय समुदायों के सांस्कृतिक प्रदर्शन होंगे, जो संवाद के मंच से पहली बार अपने अनूठे कला और संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। आदिवासी संगीतकारों का समूह 'रिदम्स ऑफ द अर्थ' भी अपना दूसरा एल्बम जारी करेगा। यह कार्यक्रम लद्दाख के बैंड 'दा शुग्स' के सहयोग से प्रस्तुत किया जाएगा, जो आयोजन में संगीत का एक नया रंग भरेगा।
आदिवासी साहित्य, फिल्म, और कला में नई पहल
संवाद 2024 में इस बार 30 मूल साहित्यिक, फिल्म और कला रचनाओं को साझा किया जाएगा, जो जनजातीय समुदायों के इतिहास, जीवन और संघर्षों की कहानियाँ बयान करेंगी। ये कृतियाँ पहली बार दुनिया के सामने पेश की जाएंगी, जहाँ दर्शक आदिवासी समुदाय के लेखकों, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों के दृष्टिकोण को करीब से जान सकेंगे। यह उनके कला, संगीत और साहित्य को एक नई पहचान देने का प्रयास है, जो संवाद के जरिए जनजातीय जीवन की गहराई में जाने का अवसर देगा।
जनजातीय पहचान की एक नई तस्वीर
संवाद ने पिछले एक दशक में एक सुरक्षित मंच बनाकर आदिवासी समुदायों को उनकी पहचान, संघर्ष, और संस्कृति की विशेषताओं को साझा करने का अवसर प्रदान किया है। यह सिर्फ एक महोत्सव नहीं है, बल्कि आदिवासी समुदायों की आवाज़ को मुख्यधारा में लाने का एक प्रयास है। संवाद के इस नए संस्करण के साथ, यह उम्मीद की जा रही है कि इसे और व्यापकता मिलेगी और जनजातीय समुदायों को उनकी अस्मिता और अधिकारों के प्रति जागरूकता मिलेगी।
सुरक्षा और सामुदायिक विकास
संवाद 2024 के दौरान आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों, प्रतिभागियों, और आयोजकों द्वारा अगले दशक के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर भी चर्चा की जाएगी। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, और संस्कृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
संवाद के इस अनोखे सफर ने जनजातीय समुदायों को एक नई दिशा दी है और यह उन्हें उनकी अस्मिता और गौरव को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहा है। आदिवासी समुदायों की इस सामूहिक सभा से भारत की विविधता और एकता का प्रतीक उजागर होगा, जो संवाद के मंच पर हर साल देखा जा सकता है।
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