Radha Krishna Seva Samiti– विसर्जन के दौरान लगी आग, 31 फीट की सरस्वती प्रतिमा जलकर खाक!पलक झपकते ही जल उठी विशाल प्रतिमा!
जमशेदपुर के सिदगोड़ा में विसर्जन के दौरान 31 फीट की सरस्वती प्रतिमा (saraswati puja fire accident) में लगी भीषण आग! जानिए कैसे हुआ हादसा और क्या रही बड़ी लापरवाही?

जमशेदपुर: सरस्वती पूजा का उल्लास, भक्तों की भीड़ और धूमधाम से निकला विसर्जन जुलूस। लेकिन इस खुशी के माहौल में एक अनहोनी घटना घट गई, जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया। सिदगोड़ा के विद्यापति नगर में शुक्रवार देर शाम विसर्जन के दौरान 31 फीट ऊंची सरस्वती प्रतिमा में अचानक आग ( saraswati puja fire accident ) लग गई। यह भव्य सरस्वती प्रतिमा राधा कृष्ण सेवा समिति द्वारा विद्यापति नगर में स्थापित की गई थी, जिसका विसर्जन पास के सूर्य मंदिर तालाब में किया जा रहा था।
कैसे लगी प्रतिमा में आग?
- प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विसर्जन जुलूस के दौरान आतिशबाजी की जा रही थी।
- एक युवक ने पटाखे जलाए, जिससे निकली चिंगारी सीधे विशाल प्रतिमा पर गिर गई।
- देखते ही देखते पूरी प्रतिमा आग की लपटों में घिर गई।
- विसर्जन में मौजूद लोगों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अचानक मचा हड़कंप!
आग लगने के बाद कुछ देर के लिए मौके पर अफरा-तफरी मच गई।
- भक्तों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन तेज लपटों ने प्रतिमा को पूरी तरह चपेट (saraswati puja fire accident) में ले लिया।
- अच्छी बात यह रही कि इस हादसे में किसी की जान को कोई खतरा नहीं हुआ।
- हालांकि, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने विसर्जन की खुशियों को कुछ हद तक गमगीन कर दिया।
इतनी बड़ी प्रतिमा जलने के पीछे क्या रही लापरवाही?
- क्या आतिशबाजी करते समय सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए थे?
- विसर्जन के दौरान इतनी बड़ी मूर्ति के आसपास पटाखों की अनुमति क्यों दी गई?
- इस घटना ने भविष्य में आयोजकों को और सतर्क रहने का संदेश दिया है।
- स्थानीय प्रशासन को ऐसे आयोजनों में सुरक्षा नियमों को और सख्ती से लागू करना होगा।
- बड़ी प्रतिमाओं के विसर्जन से पहले सुरक्षा मानकों की जांच जरूरी है।
- धार्मिक उत्सवों में आतिशबाजी के लिए सुरक्षित दूरी और नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
विशेष अतिथि और आयोजक
- इस भव्य पंडाल का उद्घाटन 2 फरवरी 2025 को झारखंड के शिक्षा मंत्री श्री रामदास सोरेन द्वारा किया गया था।
- इस आयोजन के मुख्य संरक्षक प्रह्लाद लोहरा थे।
- पूजा स्थल से मात्र 200 मीटर की दूरी पर सिदगोड़ा थाना मौजूद था, लेकिन प्रशासन ने पर्याप्त तैयारी नहीं की थी, जिससे यह हादसा हुआ।
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को पहले से सुरक्षा इंतजामों का जायजा लेना चाहिए था, ताकि ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके। अब जरूरत है कि इस घटना की गहराई से जांच हो और आगे से ऐसे आयोजनों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह की अप्रिय घटनाएं न हों।
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