श्री लेदर्स हत्याकांड: झारखंड हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की उम्रकैद की सजा को किया रद्द

श्री लेदर्स के मालिक आशीष डे की हत्या के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया। जानिए क्या है पूरा मामला।

Sep 3, 2024 - 20:23
Sep 3, 2024 - 20:25
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श्री लेदर्स हत्याकांड: झारखंड हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की उम्रकैद की सजा को किया रद्द
श्री लेदर्स हत्याकांड: झारखंड हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों की उम्रकैद की सजा को किया रद्द

रांची, 3 सितंबर: श्री लेदर्स के मालिक आशीष डे की हत्या के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को तीनों आरोपियों को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने जितेंद्र कुमार सिंह, अमलेश कुमार सिंह और विनोद कुमार सिंह की उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया है।

कोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने यह फैसला तीनों आरोपियों की ओर से दायर क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद सुनाया। 13 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तीनों आरोपियों की उम्रकैद की सजा को निरस्त कर दिया।

क्या था मामला?

आशीष डे, जो श्री लेदर्स के मालिक थे, की हत्या के मामले में इन तीनों आरोपियों को पहले उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। पुलिस जांच और अदालत में पेश किए गए सबूतों के आधार पर इनको दोषी ठहराया गया था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इनकी सजा को रद्द कर दिया है।

आरोपियों की अपील और हाईकोर्ट का निर्णय

आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर कहा था कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे। उनके वकीलों ने दलील दी कि मामले की जांच में कई खामियां थीं। हाईकोर्ट ने इस पर विचार करते हुए उनकी सजा को निरस्त कर दिया।

अगले कदम क्या होंगे?

हाईकोर्ट के इस फैसले से मामले में नया मोड़ आ गया है। अब देखने वाली बात यह है कि आशीष डे के परिवार और राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ कोई आगे की कार्रवाई की जाती है या नहीं।

जनता की प्रतिक्रिया

श्री लेदर्स हत्याकांड झारखंड में एक हाई-प्रोफाइल मामला था, जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया था। आशीष डे की हत्या के बाद राज्य भर में काफी आक्रोश था और लोग न्याय की मांग कर रहे थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद आम जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे न्याय की जीत मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे निराशाजनक मानते हैं।

इस फैसले ने एक बार फिर से झारखंड में कानून और न्यायिक प्रणाली पर लोगों का ध्यान केंद्रित कर दिया है। यह देखना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और क्या इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जाएगी या नहीं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।