Jamshedpur Awareness Rath : गांव-गांव घूमेगा 'सही पोषण' का संदेश, जानें क्यों है ये मिशन खास?
पूर्वी सिंहभूम जिले में 'पोषण पखवाड़ा 2025' की शुरुआत जागरूकता रथ से हुई। गांव-गांव जाकर बच्चों और महिलाओं को सही पोषण की जानकारी देगा रथ। जानिए क्यों ये अभियान भारत के भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।

जमशेदपुर: भारत में कुपोषण लंबे समय से एक गंभीर चुनौती रहा है—खासकर बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य के संदर्भ में। इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, पूर्वी सिंहभूम जिले में "पोषण पखवाड़ा 2025" का आगाज़ बेहद आकर्षक और जागरूकता से भरपूर तरीके से हुआ है।
शनिवार, 12 अप्रैल 2025 को जमशेदपुर के समाहरणालय परिसर से उप विकास आयुक्त श्री अनिकेत सचान और धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी श्रीमती शताब्दी मजूमदार ने मिलकर पोषण जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये रथ अब 22 अप्रैल तक जिले के कोने-कोने में जाकर पोषण से जुड़ा जन-जागरूकता का काम करेगा।
क्यों है यह अभियान इतना खास?
भारत सरकार द्वारा चलाया गया राष्ट्रीय पोषण अभियान 2018 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं को कुपोषण मुक्त भारत की दिशा में लाना था। इसी कड़ी में हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में "पोषण पखवाड़ा" मनाया जाता है।
इस वर्ष का फोकस है:
-
बच्चों के जीवन के पहले 1000 दिन को सुरक्षित और पोषित बनाना
-
पोषण ट्रैकर के लाभार्थी मॉड्यूल को बढ़ावा देना
-
समुदाय आधारित पोषण प्रबंधन को बढ़ावा देना
-
बच्चों में मोटापे की समस्या से निपटना
-
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की आदतें विकसित करना
क्या करेगा पोषण रथ?
यह रथ ना केवल गांवों में जाकर हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, फल, अंडा जैसे पौष्टिक आहार को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि कैसे साफ पानी, स्वच्छता और संतुलित भोजन बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है।
इस रथ में लगे लाउडस्पीकरों से जागरूकता संदेश प्रसारित होंगे, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सत्र, प्रदर्शन और फोकस ग्रुप चर्चा के माध्यम से लोगों को प्रत्यक्ष रूप से जोड़ा जाएगा।
लिया गया शपथ, किया गया संकल्प
इस मौके पर उपस्थित अधिकारियों, कर्मचारियों और आमजनों ने पोषण पखवाड़ा की शपथ भी ली, जिसमें उन्होंने संकल्प लिया:
-
हर घर तक सही पोषण का संदेश पहुँचाने का
-
पौष्टिक आहार, साफ पानी और स्वास्थ्यवर्धक प्रथाओं को अपनाने का
-
बाल विवाह के खिलाफ लड़ने का और उसका बहिष्कार करने का
-
हर बच्चे को सुरक्षित, स्वस्थ और शिक्षित बनाने का
क्या कहते हैं अधिकारी?
उप विकास आयुक्त श्री अनिकेत सचान ने इस अभियान को "स्वस्थ भारत की नींव" बताते हुए कहा,
"जब तक गांव का बच्चा पोषित नहीं होगा, तब तक देश का भविष्य उज्ज्वल नहीं बन सकता। ये जागरूकता रथ सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है।"
वहीं एसडीओ शताब्दी मजूमदार ने बताया कि जिले के सुदूरवर्ती इलाकों में इस तरह के प्रयासों की सबसे ज्यादा ज़रूरत है, और इस रथ के जरिए वो जरूरत पूरी होगी।
इतिहास की बात करें तो...
अगर पीछे देखें तो भारत में कुपोषण से जूझना नया नहीं है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार, आज भी भारत में 5 साल से कम उम्र के 35% बच्चे कुपोषित हैं। ऐसे में सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि मिलकर इस जड़ को समाप्त किया जाए।
एक छोटी शुरुआत, बड़ा बदलाव
"पोषण पखवाड़ा 2025" केवल एक सरकारी आयोजन नहीं है, बल्कि एक जनांदोलन बनने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। जागरूकता रथ की यह यात्रा हर गांव तक सही पोषण का संदेश लेकर पहुँचेगी और उम्मीद है कि ये प्रयास भविष्य के स्वस्थ और शिक्षित भारत की नींव बनाएगा।
क्या आप भी तैयार हैं अपने घर से इस क्रांति की शुरुआत करने के लिए?
What's Your Reaction?






