Jamshedpur Attack - लेखक अंशुमन भगत पर हमले से शहर में हड़कंप, अपराधी बेखौफ!

जमशेदपुर के प्रतिष्ठित लेखक अंशुमन भगत पर हुए हमले ने पूरे शहर को हिला दिया है। आरोपियों के खुलेआम घूमने से लोग डरे हुए हैं, क्या प्रशासन अपराधियों के सामने नतमस्तक हो चुका है? जानें पूरी खबर।

Mar 5, 2025 - 16:30
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Jamshedpur Attack - लेखक अंशुमन भगत पर हमले से शहर में हड़कंप, अपराधी बेखौफ!
Jamshedpur Attack - लेखक अंशुमन भगत पर हमले से शहर में हड़कंप, अपराधी बेखौफ!

जमशेदपुर में मशहूर लेखक अंशुमन भगत पर हुए हमले की खबर से पूरा शहर सदमे में है। 1 मार्च की शाम 5:15 बजे हुए इस हमले ने कानून व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोपियों में मुकेश सिंह (39 वर्ष), जितेंद्र सिंह (40 वर्ष) और उनके दो अन्य साथी शामिल हैं, जिन पर अंशुमन को बेरहमी से प्रताड़ित करने और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है।

कैसे हुआ हमला?

शहर के एक प्रतिष्ठित लेखक पर इस तरह के हमले ने न केवल बौद्धिक जगत बल्कि आम नागरिकों को भी झकझोर दिया है। अंशुमन भगत अपने घर में अकेले थे, तभी हमलावरों ने उनके घर में जबरन घुसकर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।

सूत्रों के अनुसार, यह हमला किसी आपसी रंजिश का नतीजा था। अंशुमन ने जब आरोपी मुकेश सिंह के अवैध कारोबार का खुलासा किया और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को इसकी जानकारी दी, तब से ही मुकेश उनसे नाराज था। यही वजह थी कि पहले अंशुमन को झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भिजवाया गया और फिर यह अमानवीय हमला किया गया।

क्या पुलिस अपराधियों को बचा रही है?

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इतना बड़ा अपराध होने के बावजूद अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उल्टा, यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि सीतारामडेरा थाना पुलिस अपराधियों को बचाने में लगी हुई है।

इतना ही नहीं, आरोपी सोशल मीडिया पर लगातार धमकी भरे पोस्ट कर रहे हैं, जिसमें वे यह दावा कर रहे हैं कि "पुलिस और कोर्ट हमारे पैसे से चलते हैं।" यह बयान प्रशासन और कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ा तमाचा है।

क्या प्रशासन अपराधियों के आगे झुक चुका है?

इतिहास गवाह है कि जब-जब अपराधियों को सत्ता या पैसों का समर्थन मिला है, तब-तब कानून कमजोर साबित हुआ है।

  • मुंबई का अंडरवर्ल्ड 90 के दशक में इतना शक्तिशाली हो गया था कि पुलिस तक उसके इशारों पर चलती थी।
  • पटना और लखनऊ जैसे शहरों में एक समय बाहुबली राजनेताओं का ऐसा दबदबा था कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं होती थी।

अब सवाल यह उठता है कि क्या जमशेदपुर भी उसी राह पर चल पड़ा है? क्या यहां भी अपराधी कानून से ऊपर हो चुके हैं?

लेखक अंशुमन भगत ने की न्याय की मांग

इस अमानवीय हमले के बाद अंशुमन भगत ने प्रशासन से तत्काल न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द से जल्द अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह पूरे समाज के लिए एक खतरनाक संदेश होगा।

उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे अपनी आवाज़ बुलंद करें, ताकि अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके

क्या होगा अगर अपराधियों पर कार्रवाई नहीं हुई?

अगर इस तरह के अपराधियों पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो—

 आम नागरिकों का कानून और न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।
 अपराधियों के हौसले और बुलंद होंगे।
 भविष्य में और भी निर्दोष लोग इस तरह की घटनाओं के शिकार बन सकते हैं।

आगे क्या?

जमशेदपुर के नागरिकों को अब यह तय करना होगा कि क्या वे एक सुरक्षित समाज में रहना चाहते हैं, या फिर अपराधियों के डर के साए में? प्रशासन को भी इस मामले को गंभीरता से लेना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि अपराधियों को उनके किए की सजा मिले

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।