Saraikela Scam: पुलिस ने किया सनसनीखेज खुलासा, लूट नहीं थी, कुछ और ही निकला सच!
सरायकेला-खरसावां जिले में पुलिस ने फर्जी लूटकांड का पर्दाफाश करते हुए पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया। कलेक्शन एजेंट खुद बना साजिशकर्ता, जानें पूरा मामला।

सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर थाना पुलिस ने एक ऐसे फर्जी लूटकांड का खुलासा किया है, जिसने इलाके में सनसनी मचा दी। इस मामले में पुलिस ने पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन भारत फाइनेंस कंपनी के कलेक्शन एजेंट भी शामिल हैं। लूट की घटनाओं में बढ़ती शिकायतों के बाद पुलिस को शक हुआ और जब सच्चाई सामने आई तो सब चौंक गए।
कैसे हुआ खुलासा?
यह मामला पिछले साल सितंबर से चर्चा में था, जब लगातार कलेक्शन एजेंटों के साथ लूट की घटनाएं सामने आ रही थीं। हर 15 दिन में एक नई एफआईआर दर्ज कराई जाती थी। पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए एसडीपीओ के नेतृत्व में एसआईटी टीम गठित की। तकनीकी और मानवीय साक्ष्यों के आधार पर जब जांच आगे बढ़ी तो जो सच सामने आया, उसने सबको हैरान कर दिया।
लूट नहीं, साजिश थी!
पुलिस के अनुसार, कंपनी के कलेक्शन एजेंट ही इस फर्जी लूटकांड के पीछे थे। वे खुद ही अपराधियों को किराए पर रखते थे और फिर लूट की झूठी कहानी बनाकर एफआईआर दर्ज कराते थे। किराए के अपराधियों को ₹10,000 दिए जाते थे और बाकी रकम आपस में बांट ली जाती थी। इस साजिश में शामिल तीनों एजेंट - निवारण प्रधान, वासुदेव महतो और सुदीप भक्त - ने पेशेवर अपराधियों के साथ मिलकर इस खेल को अंजाम दिया।
क्या-क्या बरामद हुआ?
पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के बाद बायोमेट्रिक डिवाइस, हाउसिंग सर्वेक्षण फॉर्म, कलेक्शन शीट, जला हुआ टैब, चाकू, दो मोटरसाइकिल, बायोमेट्रिक बैग, 2 टैब और ₹7600 नकद बरामद किए हैं।
इतिहास में ऐसे हुए हैं फर्जीवाड़े
भारत में इस तरह के कई फर्जीवाड़े पहले भी सामने आ चुके हैं। बैंक घोटाले, बीमा धोखाधड़ी और नकली निवेश योजनाएं आम हो गई हैं। खासकर फाइनेंस कंपनियों और कलेक्शन एजेंटों से जुड़े मामलों में ऐसे घोटाले सामने आते रहते हैं। 2019 में बिहार में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था, जहां कलेक्शन एजेंटों ने नकली लूट की घटनाएं गढ़कर लाखों रुपये हड़प लिए थे।
अब आगे क्या?
एसपी मुकेश कुमार लुणायत ने इस केस को सुलझाने वाली टीम को पुरस्कार देने की घोषणा की है। पुलिस का कहना है कि आगे की जांच जारी है और यह पता लगाया जा रहा है कि इस नेटवर्क में और कितने लोग शामिल हो सकते हैं।
सरायकेला का यह मामला बताता है कि धोखाधड़ी के तरीके कितने एडवांस हो चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत फाइनेंस कंपनी को इस धोखाधड़ी की जानकारी थी? क्या और भी एजेंट इस तरह की घटनाओं में लिप्त हो सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले समय में सामने आएंगे, लेकिन फिलहाल, पुलिस ने इस फर्जी लूटकांड का भंडाफोड़ कर बड़ा काम किया है।
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