Dumka Mystery - डायन बिसाही के अंधविश्वास में पिता-पुत्र पर कहर, पूरे गांव में सनसनी!
दुमका जिले में डायन-बिसाही के संदेह में पिता-पुत्र पर हमला, बेटे की मौत, पिता गंभीर। अंधविश्वास से जुड़े इस मामले ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। पढ़ें पूरी खबर।

दुमका: झारखंड के दुमका जिले में अंधविश्वास का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। डायन-बिसाही के संदेह में एक ही परिवार के दो सदस्यों पर ऐसा जुल्म हुआ, जो समाज में आज भी गहरी सोच की जरूरत को दर्शाता है।
क्या है पूरा मामला?
गुलाब मड़ैया के पिता दीबू मड़ैया बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनकी बिगड़ती हालत को देखकर परिवार के कुछ सदस्यों ने बीमारी का जिम्मेदार 40 वर्षीय नरेश राणा की मां को ठहराया। यह वही पुरानी मानसिकता है, जहां किसी महिला पर डायन होने का आरोप लगा दिया जाता है, जब परिवार में कोई लंबी बीमारी का शिकार हो।
अगस्त 2024 में नरेश राणा ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने तब इस मामले में हस्तक्षेप किया और परिवार को समझाया, लेकिन यह विवाद थमा नहीं।
सुबह होते ही घर में घुसे आरोपी!
मंगलवार की सुबह कुछ रिश्तेदार अचानक घर में घुसे और नरेश राणा व उनके 75 वर्षीय पिता वर्धन राणा को जबरन बाहर खींचकर लाए। यह देख गांव के अन्य लोग भी सकते में आ गए।
अंधविश्वास ने ली एक और जान!
आरोपियों ने नरेश को बिजली के पोल से बांध दिया और लोहे की रॉड से उनकी पिटाई शुरू कर दी। वहीं, पिता वर्धन राणा को भी बेरहमी से मारा गया। इसके बाद उन्हें गोली मारी गई, जो उनके हाथ में जा लगी।
गांववालों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने नरेश को पोल से आज़ाद कराया और वर्धन राणा को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया। लेकिन इलाज के दौरान नरेश की मौत हो गई।
शिकायत दर्ज, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं!
नरेश की मां ने इस मामले में सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है।
बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद नरेश के शव को परिवार को सौंप दिया गया। नरेश शादीशुदा थे और उनके दो छोटे बच्चे भी हैं। खेती-बाड़ी से अपनी रोज़ी-रोटी कमाने वाले नरेश के जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
इतिहास में भी दर्ज हैं ऐसे मामले!
झारखंड और बिहार के कई इलाकों में डायन प्रथा की कुप्रथा लंबे समय से चली आ रही है। 2013 में झारखंड सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाया था, लेकिन अभी भी ग्रामीण इलाकों में इस मानसिकता को बदला नहीं जा सका है।
प्रशासन की बड़ी चुनौती!
दुमका के एसपी पीतंबर सिंह ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल उठता है कि कब तक निर्दोष लोग इस तरह के अंधविश्वास के शिकार होते रहेंगे?
समाज को बदलने की जरूरत!
यह घटना एक बार फिर से दिखाती है कि हमें अंधविश्वास से बाहर निकलकर जागरूक समाज बनाने की जरूरत है। प्रशासन को भी चाहिए कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करे ताकि निर्दोषों को सुरक्षा मिल सके और अपराधियों को सजा।
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