Jamshedpur Felicitation: रामनवमी जुलूस के बाद पुलिस अफसरों को मिला सम्मान, जानिए क्यों हुआ ये खास कार्यक्रम?
जमशेदपुर में रामनवमी जुलूस के सफल और शांतिपूर्ण समापन के बाद पुलिस अधिकारियों को नागरिक अभिनंदन से नवाज़ा गया। जानिए कैसे एक मंदिर समिति ने प्रशासनिक समन्वय को नई मिसाल बना दिया।

जमशेदपुर में रामनवमी का पर्व इस बार सिर्फ धार्मिक आस्था का उत्सव नहीं रहा, बल्कि सामाजिक समरसता और प्रशासनिक समन्वय की एक अनूठी मिसाल बनकर उभरा। हनुमान मंदिर अखाड़ा समिति, खड़ंगाझाड़ द्वारा रामनवमी जुलूस के शांतिपूर्ण समापन के उपरांत नगर उपाधीक्षक अनिल कुमार चौधरी और टेल्को थाना प्रभारी प्रशांत कुमार को एक नागरिक अभिनंदन समारोह में सम्मानित किया गया।
इस सादे मगर गौरवपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन टेल्को थाना परिसर में हुआ, जहां समिति ने दोनों अधिकारियों को अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस आयोजन के संयोजक रहे डीडी त्रिपाठी, और अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि यह अभिनंदन उस प्रशासनिक विश्वास का प्रतीक है जिसने इस आयोजन को न सिर्फ सुरक्षित, बल्कि गरिमापूर्ण बनाया।
इतिहास की झलक: जब जुलूस बने थे संघर्ष का कारण
ऐसे समय में जब देश के कई हिस्सों में धार्मिक जुलूस विवाद और तनाव का कारण बनते हैं, जमशेदपुर ने इतिहास की धार को मोड़ दिया। जहां पहले कई बार रामनवमी जुलूसों में तनातनी देखी गई थी, इस बार महिलाओं की भागीदारी, कलाकारों की प्रस्तुति और शांतिपूर्ण माहौल ने साबित कर दिया कि अगर प्रशासन और समाज एकजुट हों, तो हर आयोजन एक प्रेरणा बन सकता है।
रंग जमा गए बाहरी कलाकार
इस बार के रामनवमी जुलूस की खास बात रही राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली से आए कलाकारों की भागीदारी। ओमप्रकाश सिंह ने कहा, “इन कलाकारों ने जमशेदपुर की संस्कृति में घुल-मिलकर जो प्रस्तुतियां दीं, वो यादगार बन गईं। उनके लिए यह अनुभव ‘कल्पना से परे’ रहा।”
पुलिस की तरफ से क्या कहा गया?
नगर उपाधीक्षक अनिल कुमार चौधरी ने कहा, “इस आयोजन ने हमारे विश्वास को और भी मजबूत किया है कि पुलिस और नागरिकों के बीच जब समन्वय होता है, तो बड़ी से बड़ी चुनौती आसान हो जाती है।”
वहीं, टेल्को थाना प्रभारी प्रशांत कुमार ने समिति और आम जनता को धन्यवाद देते हुए कहा, “अनुशासन और सहयोग ने प्रशासनिक मुश्किलों को आसान बना दिया। यह आयोजन इस बात का उदाहरण है कि सामाजिक आयोजनों में सकारात्मक भागीदारी क्या कर सकती है।”
महिलाओं की अद्भुत भागीदारी
समिति की महिला इकाई की सक्रिय उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष बना दिया। नीतू एफसी पांडे, पूजा कुमारी, पूनम पांडे, रिया सिंह, सिमरन कुंद्रा, और अन्य महिलाओं ने उत्सव में न केवल भाग लिया, बल्कि नेतृत्व भी किया।
कौन-कौन रहे उपस्थित?
समारोह में कई प्रमुख सदस्य भी शामिल रहे जैसे कि महासचिव दीपक झा, उपाध्यक्ष जय नारायण सिंह, अमन, राहुल मौर्या, रमेश कुमार, और समाजसेवी संजय घोष। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि यह कार्यक्रम सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि सामाजिक एकता का उत्सव था।
क्या यह मॉडल देश भर में अपनाया जा सकता है?
जवाब है – हां। जमशेदपुर की यह पहल उन सभी शहरों और समुदायों के लिए एक रोडमैप बन सकती है जहां धार्मिक आयोजनों को लेकर तनाव उत्पन्न होता है। अगर वहां भी प्रशासन और समाज एकजुट हो जाएं, तो त्यौहार फिर से “खुशी और श्रद्धा” का कारण बन सकते हैं, न कि चिंता का।
रामनवमी के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि जब समाज और प्रशासन एकजुट होकर काम करें, तो हर आयोजन में सौहार्द, सुरक्षा और संस्कृति का संगम देखने को मिलता है। जमशेदपुर ने केवल एक जुलूस नहीं निकाला, बल्कि एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
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