Jamshedpur Celebration: जेवियर पब्लिक स्कूल में जन्माष्टमी की धूम, नन्हे कान्हा की लीलाओं ने जीता दिल

जमशेदपुर के जेवियर पब्लिक स्कूल में जन्माष्टमी का त्योहार 14 अगस्त को धूमधाम से मनाया गया। रंगारंग कार्यक्रम, नन्हे कान्हा की लीलाएँ और राधा-कृष्ण की पवित्र प्रेम कथा ने सभी का मन मोह लिया।

Aug 14, 2025 - 14:34
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Jamshedpur Celebration: जेवियर पब्लिक स्कूल में जन्माष्टमी की धूम, नन्हे कान्हा की लीलाओं ने जीता दिल
Jamshedpur Celebration: जेवियर पब्लिक स्कूल में जन्माष्टमी की धूम, नन्हे कान्हा की लीलाओं ने जीता दिल

जमशेदपुर के छोटा गोविंदपुर स्थित जेवियर पब्लिक स्कूल में इस बार जन्माष्टमी का त्योहार कुछ खास अंदाज़ में मनाया गया। हालांकि जन्माष्टमी की आधिकारिक तिथि 16 अगस्त 2025 है, लेकिन विद्यालय ने इसे दो दिन पहले यानी 14 अगस्त गुरुवार को पारंपरिक और भव्य तरीके से मनाने का फैसला किया, ताकि अधिक से अधिक बच्चे और शिक्षक इसमें शामिल हो सकें।

सुबह से ही विद्यालय परिसर उत्साह से भर गया था। हर ओर रंग-बिरंगी झालरें, फूलों की सजावट और मटकी की कतारें एक अलग ही माहौल बना रही थीं। प्रवेश द्वार पर कृष्ण और राधा के पोस्टर के साथ एक आकर्षक झांकी सजाई गई, जिसमें नन्हे कान्हा की झूला झूलती प्रतिमा सभी का ध्यान खींच रही थी।

कार्यक्रम की शुरुआत: ज्ञान और भक्ति का संगम

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की एक शिक्षिका द्वारा दिए गए ज्ञानवर्धक भाषण से हुई। इसमें बच्चों को बताया गया कि जन्माष्टमी केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व नहीं, बल्कि यह प्रेम, भक्ति, त्याग और ममता का संदेश देता है। शिक्षिका ने यह भी समझाया कि कृष्ण का जीवन हमें यह सिखाता है कि कैसे मुश्किल परिस्थितियों में भी हमें सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।

नन्हे कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुति

इसके बाद शुरू हुआ वह क्षण, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार था—नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य और संगीत का रंगारंग कार्यक्रम। मंच पर जैसे ही बाल गोपाल बने छोटे-छोटे बच्चे आए, पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। बच्चों ने “यशोदा का नंदलाला”, “राधा-कृष्ण” और “गोपी गीत” पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए।

एक प्रस्तुति में यह दृश्य दिखाया गया कि कैसे माँ यशोदा नन्हे कान्हा को माखन चुराते हुए पकड़ लेती हैं और फिर अपने स्नेह भरे दुलार में उन्हें समेट लेती हैं। दूसरी प्रस्तुति में राधा और कृष्ण के अनंत प्रेम को चित्रित किया गया—एक ऐसा प्रेम जो पवित्र भी है और अटूट भी।

वेशभूषा और अभिनय की तारीफ़

बच्चों की वेशभूषा बेहद आकर्षक थी—कान्हा बने बच्चों के माथे पर मोरपंख, पीतांबर और बांसुरी तो राधा बनी बालिकाओं के सिर पर रंगीन घूंघट और हाथों में फूलों की मालाएं थी। उनकी अदाकारी इतनी स्वाभाविक थी कि दर्शक खुद को वृंदावन की गलियों में महसूस करने लगे।

विद्यालय के प्राचार्य ने बच्चों की मेहनत और प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा, “ऐसे कार्यक्रम न केवल बच्चों की संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव बढ़ाते हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और टीमवर्क की भावना भी विकसित करते हैं।”

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

जन्माष्टमी का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनका जन्म कंस जैसे अत्याचारी राजा के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ। कृष्ण ने न केवल युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, बल्कि जीवन के हर पहलू में धर्म का पालन करने की प्रेरणा भी दी।

विद्यालय के कार्यक्रम में भी इस ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि को बच्चों के सामने रखा गया, जिससे वे न केवल त्योहार का आनंद लें, बल्कि इसके महत्व को भी समझें।

समापन और प्रसाद वितरण

कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों को माखन-मिश्री और पंचामृत का प्रसाद वितरित किया गया। बच्चों ने प्रसाद ग्रहण करते हुए एक-दूसरे को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं।

पूरे कार्यक्रम में शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि संस्कृति, शिक्षा और आनंद का भी अद्भुत संगम साबित हुआ।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।