Jamshedpur Dog Attack: 6 साल की मासूम पर आवारा कुत्ते का हमला, गाल पर 12 टांके, इलाके में दहशत

जमशेदपुर के आजादनगर में 6 साल की बच्ची पर आवारा कुत्ते का खौफनाक हमला। गाल पर 12 टांके लगे, लोगों में दहशत। जानें पूरी घटना और प्रशासन पर सवाल।

Aug 14, 2025 - 14:33
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Jamshedpur Dog Attack: 6 साल की मासूम पर आवारा कुत्ते का हमला, गाल पर 12 टांके, इलाके में दहशत
Jamshedpur Dog Attack: 6 साल की मासूम पर आवारा कुत्ते का हमला, गाल पर 12 टांके, इलाके में दहशत

जमशेदपुर शहर इन दिनों एक खौफनाक समस्या से जूझ रहा है—आवारा कुत्तों का आतंक। गुरुवार की दोपहर, आजादनगर थाना क्षेत्र के ओल्ड पुरुलिया रोड 12 में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे मोहल्ले को हिला दिया। मोहल्ले की गलियों में खेल रही करीब 6 वर्षीय तस्बीह अचानक खून से लथपथ हो गई, जब एक आवारा कुत्ता उस पर टूट पड़ा।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुत्ता इतनी तेजी से झपटा कि बच्ची के पास भागने या बचाव का कोई मौका ही नहीं था। वह सीधे उसके चेहरे पर हमला करने लगा, दांत गाल और होंठ तक धंस गए। आसपास मौजूद लोगों ने चीख सुनते ही दौड़ लगाई और कुत्ते को खदेड़ा, लेकिन तब तक मासूम का चेहरा खून से भर चुका था।

12 टांके और लंबा इलाज

घायल तस्बीह को तत्काल नजदीकी डॉक्टर के पास ले जाया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसके गाल पर 12 टांके लगाने पड़े। अच्छी खबर यह रही कि खतरा टल गया है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि पूरी तरह ठीक होने में हफ्तों लग सकते हैं। इस हादसे के बाद बच्ची के परिवार पर गहरा मानसिक आघात हुआ है, और मोहल्ले में डर का माहौल है।

इलाके में बढ़ता कुत्तों का आतंक

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है। पिछले कुछ महीनों में कई बच्चों और बुजुर्गों पर आवारा कुत्तों के हमले हो चुके हैं। कई बार नगर निगम और जिला प्रशासन को शिकायत दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

ओल्ड पुरुलिया रोड के निवासी बताते हैं कि रात के समय गलियों में दर्जनों कुत्ते झुंड में घूमते हैं। सुबह स्कूल जाते बच्चों और बाजार जाने वाली महिलाओं को यह रोज का खतरा झेलना पड़ता है।

प्रशासन पर सवाल

लोगों का सवाल है—आखिर कब तक वे अपने ही मोहल्ले में इस डर के साथ रहेंगे? जिला प्रशासन और नगर निगम पर लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है। शिकायतों के बावजूद न तो डॉग कैचिंग टीम सक्रिय है और न ही टीकाकरण की कोई ठोस व्यवस्था।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या का एक कारण यह भी है कि कई लोग पालतू कुत्तों को छोड़ देते हैं, और उनका प्रजनन अनियंत्रित हो जाता है।

समाधान क्या है?

विशेषज्ञों के मुताबिक, केवल पकड़कर दूर छोड़ना स्थायी हल नहीं है। इसके लिए ABC प्रोग्राम (Animal Birth Control) को तेज गति से लागू करना होगा, ताकि इनकी संख्या नियंत्रित हो सके। साथ ही एंटी-रेबीज टीकाकरण और कचरा प्रबंधन भी जरूरी है, क्योंकि खुले में पड़ा कचरा इन कुत्तों को मोहल्लों में खींच लाता है।

लोगों की अपील और चेतावनी

गुरुवार की घटना के बाद लोग एकजुट होकर प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो किसी दिन इससे भी बड़ा हादसा हो सकता है।

एक निवासी ने कहा—"हम अपने बच्चों को अब बाहर खेलने भेजने से डरते हैं।"
दूसरे ने चेतावनी दी—"अगर प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो हम खुद सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।"

ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या चिंताजनक

राष्ट्रीय स्तर पर भी आवारा कुत्तों के हमले चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में हर साल हजारों लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बच्चे होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शहरीकरण और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन इस समस्या को और बढ़ा रहा है।


जमशेदपुर का यह मामला सिर्फ एक मोहल्ले का दर्द नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है कि आवारा कुत्तों की समस्या को अनदेखा करना सीधे लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ है। प्रशासन को अब तात्कालिक और दीर्घकालिक—दोनों तरह के उपाय करने होंगे। वरना, मासूम तस्बीह का खून से सना चेहरा आने वाले बड़े हादसों की सिर्फ शुरुआत साबित होगा।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।