Goilkera Rescue: पश्चिमी सिंहभूम में कलयुगी मां ने बरगद के नीचे झाड़ियों में फेंका नवजात, रात भर ठंड में भी बच्चा रहा स्वस्थ

झारखंड के गोइलकेरा में इंसानियत को झकझोरने वाली घटना सामने आई है, जहां किसी मां ने अपने नवजात शिशु को स्कूल के पीछे झाड़ियों में फेंक दिया। बच्चे की किलकारियां सुनकर स्थानीय दंपति रमेश और सुजाता भुइयां ने उसे बचाया और गोद लेने का संकल्प लिया। पुलिस लावारिस मां की तलाश कर रही है।

Oct 18, 2025 - 13:41
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Goilkera Rescue: पश्चिमी सिंहभूम में कलयुगी मां ने बरगद के नीचे झाड़ियों में फेंका नवजात, रात भर ठंड में भी बच्चा रहा स्वस्थ
Goilkera Rescue: पश्चिमी सिंहभूम में कलयुगी मां ने बरगद के नीचे झाड़ियों में फेंका नवजात, रात भर ठंड में भी बच्चा रहा स्वस्थ

पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा में शुक्रवार की रात इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली एक घटना सामने आई, जिसने माँ की ममता और मानव सहानुभूति के दो विपरीत चरम दिखाए। गोइलकेरा गर्ल्स स्कूल के पीछे मछुआ टोली के पास बरगद के एक विशाल पेड़ के नीचे किसी 'कलयुगी माँ' ने अपने ही नवजात शिशु को बेशर्मी से झाड़ियों में फेंक दिया। लेकिन अंधेरी रात और अमानवीय लापरवाही के बीच भी शिशु की किस्मत ने उसे हारने नहीं दिया।

स्थानीय लोगों के अनुसार, किसी ने बच्चे को देर रात ही वहां लावारिस हालत में छोड़ दिया था। शनिवार की सुबह जब क्षेत्र में अहले सुबह की ठंडक थी, तो अचानक वहां से गुजरने वाले लोगों को एक रोते-बिलखते शिशु की किलकारियां सुनाई दीं। आवाज के पीछे पीछे जब लोग झाड़ियों के पास पहुंचे, तो देखकर स्तब्ध रह गए कि एक नवजात बच्चा वहां अकेला पड़ा हुआ था।

ममता की नई छांव: इंसानियत का चमत्कार

जहां एक माँ ने अपने नवजात को ठोकर मार दी, वहीं इंसानियत का फर्ज निभाते हुए एक अन्य दंपति ने उसे गोद लेकर ममता की नई छांव दी।

  • तत्काल बचाव: मुहल्ले के रमेश भुइयां और उनकी पत्नी सुजाता भुइयां ने जब बच्चे को देखा, तो उनका हृदय पिघल गया। उन्होंने तुरंत बच्चे को गोद में उठा लिया। लोगों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि पूरी रात ठंड में झाड़ियों के बीच पड़ा रहने के बावजूद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था - यह किसी करिश्मे से कम नहीं था।

  • गोद लेने का संकल्प: रमेश और सुजाता भुइयां ने बच्चे के लालन-पालन का संकल्प लिया है। उनके इस मानवीय और सहानुभूतिपूर्ण फैसले की पूरे इलाके में तारीफ हो रही है, क्योंकि यह कार्रवाई उस अमानवीय कृत्य पर मरहम लगाने जैसा है।

लावारिस माँ की तलाश: कानूनी शिकंजा

फिलहाल बच्चे को लावारिस हालत में छोड़ देने वाली माँ का पता नहीं चल सका है। गोइलकेरा पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। ऐसे कृत्य कानूनी रूप से गंभीर अपराध हैं और पुलिस आसपास के इलाकों में जानकारी जुटा रही है, ताकि उस माँ की पहचान की जा सके।

यह घटना एक बार फिर से समाज में उन माताओं के लिए सवाल खड़ा करती है, जो सामाजिक कलंक या असुरक्षा के डर से अपने नवजात बच्चों को छोड़ देती हैं। दूसरी तरफ, रमेश और सुजाता भुइयां का यह मानवीय कार्य यह दिखाता है कि आज भी इंसानियत और दया का भाव जिंदा है, जो बच्चे के जीवन में उजाला लाएगा।

आपकी राय में, समाज को इस तरह के कृत्यों को रोकने और लावारिस नवजात बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 'पालना गृह' की सुविधाओं के अलावा कौन से दो सबसे प्रभावी और संवेदनशील सामाजिक और कानूनी उपाय करने चाहिए?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।