Giridih Tragedy : दो वर्षीय अंकुश का नाले में बहना, पूरे इलाके में हड़कंप और आक्रोश
गिरिडीह में तेज बारिश के दौरान दो वर्षीय अंकुश ठाकुर नाले में बह गया। रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन और रविवार को फिर शुरू हुए खोज अभियान में प्रशासन जुटा, जबकि स्थानीय लोग सुरक्षा की कमी पर नाराज हैं।
झारखंड के गिरिडीह जिले में शनिवार देर शाम एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। नगर थाना क्षेत्र के गांधी चौक पर तेज बारिश के दौरान दो वर्षीय अंकुश ठाकुर नाले में बह गया। यह हादसा केवल एक परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे इलाके के लोगों के लिए चिंता और आक्रोश का कारण बन गया।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार अंकुश अपने माता-पिता के साथ बाजार में कपड़ा खरीदने आया था। बारिश तेज होने पर उसकी मां उसे गोद में लेकर नाले के किनारे खड़ी थी। इसी दौरान बच्चा अचानक फिसल गया और तेज धार में बह गया। परिजन तुरंत उसे बचाने की कोशिश में जुट गए, लेकिन नाले की धार इतनी तेज थी कि बच्चा उनकी आंखों से ओझल हो गया।
नगर थाना की पुलिस, जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, वे मौके पर पहुंचे। रातभर पोकलेन मशीनों और पंपों की मदद से नाले के हिस्सों को तोड़ा गया और पानी निकाला गया, लेकिन अंकुश का कोई सुराग नहीं मिला। बारिश और अंधेरे के कारण रात तीन बजे रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा।
रविवार को फिर शुरू हुआ खोज अभियान
रविवार सुबह प्रशासन ने बड़े पैमाने पर खोज अभियान फिर से शुरू किया। नगर थाना प्रभारी ज्ञान रंजन ने बताया कि पोकलेन मशीन और पंप की मदद से नाले की गहराई तक जांच की जा रही है। अंकुश मंगरोडीह गांव का निवासी है और अपने परिवार का इकलौता बेटा है। प्रशासन ने हरसंभव प्रयास किए जाने का भरोसा दिया।
मां की प्रार्थना और समाज का आक्रोश
हादसे के दौरान बच्चे की मां पास के दुर्गा मंदिर में बेटे की सलामती के लिए रातभर प्रार्थना करती रही। इस दौरान पूरे इलाके में गहरा आक्रोश फैल गया। लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए रविवार सुबह बड़ा चौक पर सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया। इससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि शुरुआत में त्वरित कार्रवाई होती, तो मासूम को बचाया जा सकता था।
थोड़ा ऐतिहासिक संदर्भ
गिरिडीह और आसपास के क्षेत्रों में बारिश और नालों के हादसे पहले भी देखने को मिले हैं। पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि नगर थाना क्षेत्र के गांधी चौक और आसपास के नाले अक्सर बारिश के मौसम में खतरा बन जाते हैं। स्थानीय प्रशासन की लगातार चेतावनी और स्लैब से ढकने की सिफारिशें लंबे समय से जारी हैं। बावजूद इसके उचित ढांचागत सुधार न होने से बार-बार हादसे सामने आते रहे हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी
विशेषज्ञों का मानना है कि नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल सुरक्षा के नियमों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। नाले, कच्चे पुल और तेज धार वाले जलस्रोत बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं। प्रशासन को चाहिए कि केवल आपातकालीन रेस्क्यू पर ध्यान न दें, बल्कि सावधानी और पूर्व तैयारी भी सुनिश्चित करें।
भविष्य की राह
घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या नगर निगम और जिला प्रशासन बच्चों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त कदम उठा रहे हैं। स्थानीय नागरिक चाहते हैं कि जल्द से जल्द नालों को ढकने, चेतावनी बोर्ड लगाने और आपातकालीन रेस्क्यू व्यवस्था को मजबूत करने जैसे उपाय किए जाएं।
इस हादसे ने गिरिडीहवासियों को सावधान किया है और प्रशासन की जवाबदेही पर नई बहस छेड़ दी है। क्या प्रशासन समय रहते नालों और जल निकासी की प्रणाली को सुधार पाएगा, या ऐसे हादसे भविष्य में भी दोहराए जाएंगे, यह अब देखने की बात है।
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