Giridih Accident: पेड़ काटते समय 33,000 वोल्ट तार की चपेट में आया किसान, मौके पर मौत!
गिरिडीह के हरलाडीह गांव में 33,000 वोल्ट तार की चपेट में आने से किसान की दर्दनाक मौत! ग्रामीणों का बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप, मुआवजे की मांग। पढ़ें पूरी खबर।

गिरिडीह के पीरटांड़ थाना क्षेत्र के हरलाडीह गांव में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां पेड़ काटते समय किसान 33,000 वोल्ट के हाई-टेंशन तार की चपेट में आ गया। करंट इतना तेज था कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
शनिवार सुबह करीब 6 बजे 60 वर्षीय सोना महतो अपने खेत के पास सहजन का पेड़ काट रहे थे। कटाई के दौरान पास से गुजर रहा 33,000 वोल्ट का बिजली तार उनकी चपेट में आ गया और तेज झटके के साथ उनकी जान चली गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना हुई। यह हाई-वोल्टेज तार कई दिनों से काफी नीचे लटक रहा था, लेकिन शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
गांव में मचा हड़कंप, विधायक पहुंचे मौके पर!
घटना की खबर फैलते ही गांव में मातम छा गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने बिजली विभाग के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और परिजनों को मुआवजा देने की मांग की।
घटना की जानकारी मिलते ही डुमरी विधायक जयराम महतो मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने बिजली विभाग के एसडीओ को फोन कर तुरंत तार दुरुस्त करने और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने के निर्देश दिए।
बिजली विभाग की लापरवाही या हादसा?
ग्रामीणों का कहना है कि गांव की मुख्य सड़क के किनारे से गुजर रहे इस हाई-वोल्टेज तार की स्थिति काफी खतरनाक थी। तार कई दिनों से ढीला होकर लटक रहा था, जिससे किसी भी समय बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।
यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि बिजली विभाग की लापरवाही का नतीजा है। अगर समय रहते इसकी मरम्मत कर दी जाती, तो आज सोना महतो की जान नहीं जाती।
गिरिडीह में बिजली हादसे क्यों बढ़ रहे हैं?
गिरिडीह और आसपास के इलाकों में बिजली से जुड़े हादसे बढ़ते जा रहे हैं। कुछ ही महीने पहले एक अन्य गांव में ट्रांसफार्मर में खराबी के कारण करंट लगने से दो लोगों की मौत हो गई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन हादसों के पीछे मुख्य कारण बिजली विभाग की लापरवाही और जर्जर हो चुकी तारों की स्थिति है। पुराने और कमजोर तार अक्सर टूटकर गिर जाते हैं या ज्यादा करंट आने पर आग पकड़ लेते हैं।
सूखे पेड़ों से भी बना हुआ है खतरा
हरलाडीह में सिर्फ बिजली के तार ही नहीं, बल्कि सूखे पेड़ भी हादसों का कारण बन सकते हैं। गांव में कई सूखे पेड़ सड़कों और घरों के किनारे खड़े हैं, लेकिन वन विभाग की अनुमति के बिना लोग इन्हें काट नहीं सकते।
अगर किसी दिन ये सूखे पेड़ गिर जाएं और बिजली के तारों से टकरा जाएं, तो और भी बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
प्रशासन ने क्या किया?
- मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा गया
- बीडीओ और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे
- बिजली विभाग के कर्मचारी पहुंचे और तार दुरुस्त करने का काम शुरू किया
- ग्रामीणों की मुआवजा देने की मांग पर विचार कर रही सरकार
अब सवाल यह है कि…
- क्या प्रशासन हरलाडीह जैसी जगहों पर समय रहते बिजली लाइनों की मरम्मत करेगा?
- क्या मुआवजा देने से ही यह समस्या हल हो जाएगी?
- क्या लटकते तारों और जर्जर बिजली व्यवस्था को ठीक करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?
हरलाडीह की यह दुर्घटना बिजली विभाग की लापरवाही की एक और बानगी है। अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो आने वाले दिनों में ऐसे और भी हादसे हो सकते हैं। अब देखना यह है कि सरकार और बिजली विभाग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और पीड़ित परिवार को न्याय मिलता है या नहीं।
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