ग़ज़ल - 7-नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
15 अगस्त 2024 के विशेष अवसर पर,,, हम हैं तैयार हर इम्तिहां के लिए,,, फिक्र क्यों हो भला गुलसितां के लिए, है हिमालय बहुत पासबां के लिए। ..........
ग़ज़ल
हम हैं तैयार हर इम्तिहां के लिए,,,
फिक्र क्यों हो भला गुलसितां के लिए,
है हिमालय बहुत पासबां के लिए।
आज का दिन शहीदों के बस नाम है,
ये सबक है सभी नौजवां के लिए।
काट कर देश के दुश्मनों का गला,
छोड़ जा इक निशां इस जहां के लिए।
गाँधी नेहरू भगत और अश्फाक़ सब,
दे गये जान हिंदोस्तां के लिए।
इस तिरंगे की खातिर ख़ुदा की क़सम,
हम हैं तैयार हर इम्तिहां के लिए।
काट लेते हैं हम पेड़ चोरी छुपे,
दोष देते हैं फिर बाग़बां के लिए।
कह दो नौशाद अब दुश्मनें हिंद से,
हम ही काफ़ी हैं कौन ओ मकां के लिए।
नौशाद अहमद सिद्दीकी,
भिलाई ,छत्तीसगढ़,
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