Galudih Lightning Tragedy: आकाशीय बिजली ने ली माँ-बेटी की जान, गांव में पसरा मातम

झारखंड के गालूडीह में आकाशीय बिजली गिरने से एक महिला और बच्ची की दर्दनाक मौत हो गई। जानिए कैसे हुआ हादसा और क्यों इस गांव पर बार-बार टूटता है आसमानी कहर।

May 8, 2025 - 09:14
 0
Galudih Lightning Tragedy: आकाशीय बिजली ने ली माँ-बेटी की जान, गांव में पसरा मातम
Galudih Lightning Tragedy: आकाशीय बिजली ने ली माँ-बेटी की जान, गांव में पसरा मातम

गालूडीह के खड़ियाडीह गांव में बुधवार शाम जो हुआ, उसने पूरे गांव को दहला कर रख दिया।
एक ओर आंधी-तूफान की चेतावनी, दूसरी ओर बिजली की गड़गड़ाहट, और फिर अचानक एक तेज चमक के साथ गिरी आकाशीय बिजली, जिससे मां और बेटी की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे में एक मवेशी की भी जान चली गई।

यह घटना गालूडीह थाना क्षेत्र के जोड़सा पंचायत के अंतर्गत आने वाले खड़ियाडीह गांव की है, जहां 7 मई की शाम मौसम का रुख अचानक बदल गया। गांव में जैसे ही आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट तेज हुई, लोग सतर्क हुए, मगर इस बार कुदरत ने जो वार किया, उससे पूरा इलाका सदमे में डूब गया।

क्या हुआ था उस शाम?

शाम के करीब 4:30 बजे, खड़ियाडीह गांव में कुछ ग्रामीण अपने मवेशियों को लेकर खेतों से लौट रहे थे। उसी समय, अचानक तेज बिजली कड़कने की आवाज आई और कुछ ही पलों में एक जमीन को चीरती हुई आकाशीय बिजली महिला और उसकी बच्ची के ऊपर गिर गई। मौके पर ही दोनों की मौत हो गई और एक मवेशी भी इसकी चपेट में आ गया।

ग्रामीणों का कहना है कि बिजली इतनी तेज थी कि कुछ देर तक लोग समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ। जब गांव के लोग दौड़ते हुए घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक दोनों की सांसे थम चुकी थीं।

क्यों बार-बार बन रहा है गालूडीह निशाना?

गालूडीह और आस-पास के क्षेत्र बीते कुछ वर्षों से आकाशीय बिजली की घटनाओं के लिए कुख्यात होते जा रहे हैं। खासकर मानसून पूर्व और मानसून के दौरान, यह इलाका बार-बार बिजली गिरने की घटनाओं का शिकार बनता है।
मौसम विभाग की मानें तो झारखंड के दक्षिणी इलाके, विशेषकर पूर्वी सिंहभूम जिला, उन संवेदनशील इलाकों में शामिल है जहां बिजली गिरने की आवृत्ति सबसे अधिक है।

2018 में भी इसी पंचायत क्षेत्र में दो किसानों की मौत बिजली गिरने से हो गई थी। बावजूद इसके, अब तक न तो कोई स्थायी चेतावनी तंत्र स्थापित किया गया है और न ही ग्रामीणों को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है।

प्रशासन की चुप्पी और ग्रामीणों का आक्रोश

हादसे के बाद गालूडीह पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक राहत या मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है।
ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि हर बार हादसा होता है, कुछ दिन चर्चा होती है, फिर सब कुछ भूल जाता है। न तो गांव में बिजली गिरने की चेतावनी प्रणाली लगाई गई है, न ही बिजलीरोधी संरचनाएं बनाई गई हैं।

क्या कहता है मौसम विभाग?

मौसम विभाग ने बताया कि यह क्षेत्र वज्रपात संवेदनशील जोन में आता है और आने वाले हफ्तों में बिजली गिरने की संभावना और बढ़ सकती है। विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की हिदायत दी है।

ग्रामीणों की मांग: अब चाहिए ठोस समाधान

गांव के लोग अब सिर्फ सांत्वना नहीं, स्थायी समाधान चाहते हैं। बिजली गिरने की घटनाओं से बचाव के लिए टेक्नोलॉजी और अलर्ट सिस्टम की मांग की जा रही है। साथ ही प्राकृतिक आपदा में मरने वालों के लिए समय पर मुआवजा देने और परिवारों को सहारा देने की भी बात हो रही है।

क्या गालूडीह की यह घटना एक चेतावनी है?
क्या सरकार और प्रशासन इस बार इसे गंभीरता से लेंगे, या एक और दर्दनाक हादसा आंकड़ों में सिमटकर रह जाएगा?

आपका क्या मानना है—क्या आपके गांव में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं? क्या आपको भी लगता है कि समय रहते कुछ किया जाना चाहिए?

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।