Saraikela Accident Horror: ट्रेलर की टक्कर से सीडीपीओ की कार चकनाचूर, 45 मिनट तक फंसे रहे अधिकारी
सरायकेला-खरसावां जिले में ड्यूटी से लौट रही सीडीपीओ की गाड़ी को अनियंत्रित ट्रेलर ने मारी जोरदार टक्कर, अधिकारी समेत तीन लोग गंभीर रूप से घायल, पुलिस की देरी से सवालों में सिस्टम।

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले से एक हैरान कर देने वाला हादसा सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
आदित्यपुर थाना क्षेत्र के टाटा-कांड्रा मुख्य मार्ग पर इंडो डेनिश टूल रूम के पास उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक अनियंत्रित ट्रेलर ने गम्हरिया की सीडीपीओ दुर्गेश नंदिनी की कार को जोरदार टक्कर मार दी। हादसा इतना भीषण था कि कार का पिछला हिस्सा पूरी तरह से चकनाचूर हो गया और सीडीपीओ, उनका चालक हेमंत साहू और स्टाफ दिनेश राम साहू बुरी तरह घायल हो गए।
हादसे की हकीकत: कैसे घटी पूरी घटना?
यह हादसा उस समय हुआ जब सीडीपीओ दुर्गेश नंदिनी दिनभर की ड्यूटी खत्म कर अपने सरकारी वाहन से आवास लौट रही थीं। इंडो डेनिश टूल रूम के पास साईं मंदिर के समीप, ट्रेलर संख्या NL 01AC-5971 ने सीडीपीओ की कार को पीछे से जबरदस्त टक्कर मार दी। इस टक्कर में न केवल वाहन क्षतिग्रस्त हुआ, बल्कि अधिकारी और दोनों सहयोगी बुरी तरह घायल हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, टक्कर के बाद तीनों लोग लगभग 45 मिनट तक गाड़ी में फंसे रहे। इस दौरान राहगीरों ने पुलिस को फोन किया, लेकिन कोई सहायता मौके पर समय पर नहीं पहुंची। स्थानीय लोगों की तत्परता ने ही इन तीनों की जान बचाई। लोगों ने शीशा तोड़कर उन्हें बाहर निकाला और नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया, जहां तीनों का इलाज चल रहा है।
पुलिस की गैरमौजूदगी पर उठे सवाल
हादसे के दौरान सबसे ज्यादा निराशाजनक पहलू यह रहा कि पुलिस सूचना मिलने के बावजूद समय पर मौके पर नहीं पहुंची। इससे न केवल राहत कार्य में देरी हुई, बल्कि भीड़ भी बढ़ती चली गई, जिससे यातायात बाधित हुआ। करीब एक घंटे बाद ट्रैफिक पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रेलर को जब्त कर लिया गया।
क्या है टाटा-कांड्रा रोड का इतिहास?
टाटा-कांड्रा मुख्य मार्ग पर इस तरह के हादसे अब नए नहीं हैं। यह मार्ग, जो औद्योगिक गतिविधियों और हाई ट्रैफिक के लिए जाना जाता है, अक्सर ट्रेलरों और भारी वाहनों की लापरवाही का शिकार बनता है।
2019 में इसी मार्ग पर एक स्कूली वैन को टक्कर मार दी गई थी, जिसमें चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी। सुरक्षा के लिए चौड़ीकरण और स्पीड कंट्रोल उपायों की बात हर हादसे के बाद उठती है, मगर कार्यवाही केवल फाइलों में सिमट कर रह जाती है।
सीडीपीओ कौन हैं और क्यों ये हादसा चिंता का विषय है?
दुर्गेश नंदिनी, गम्हरिया की चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट ऑफिसर (CDPO) हैं, जिनकी जिम्मेदारी महिलाओं और बच्चों के पोषण एवं कल्याण कार्यक्रमों को लागू करना है। ऐसे अधिकारी का इस प्रकार के हादसे में घायल होना न केवल व्यक्तिगत संकट है, बल्कि सिस्टम की नाकामी का भी प्रतीक है।
क्या अब जागेगा प्रशासन?
इस हादसे ने प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था, सड़क सुरक्षा और पुलिस की तत्परता तीनों पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। लोगों की मांग है कि इस मार्ग पर सीसीटीवी निगरानी, ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम और स्पीड ब्रेकर जल्द से जल्द लगाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसे हादसे दोहराए न जाएं।
आप क्या सोचते हैं—क्या ऐसे हादसे सिस्टम की असफलता नहीं हैं?
क्या सड़कों पर लापरवाही और भारी वाहनों की गति पर अब कोई लगाम लगेगी?
क्या अधिकारी और आम नागरिक एक जैसे सुरक्षित हैं या कोई फर्क है?
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