Jamshedpur Chhatt Puja 2025 : छठ पूजा नदियों में क्यों होती है? जानिए कोरोना के बाद बदली परंपरा, तालाब पूजा का ट्रेंड और रघुवर घाट विस्तार की जरूरत
छठ पूजा नदियों में करने की परंपरा क्यों है? कोरोना के बाद लोग घर या तालाब में पूजा क्यों कर रहे हैं? जानिए रघुवर घाट के विस्तार की जरूरत।
छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि प्रकृति, शुद्धता और सूर्य उपासना का अद्भुत संगम है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े भाव से मनाया जाता है। लेकिन एक सवाल हर साल उठता है — आखिर छठ पूजा नदियों में ही क्यों की जाती है? और अब कोरोना महामारी के बाद क्यों कई लोग अपने घरों या मोहल्ले के तालाबों में पूजा करना पसंद कर रहे हैं?
नदी में छठ पूजा करने की परंपरा का महत्व
छठ पूजा का सबसे प्रमुख तत्व है — सूर्य को अर्घ्य देना, यानी अस्ताचलगामी और उदयाचलगामी सूर्य की आराधना।
पुराणों के अनुसार, सूर्य देव जल के माध्यम से ऊर्जा ग्रहण करते हैं, और नदी या प्राकृतिक जलस्रोत इस ऊर्जा के वाहक होते हैं।
इसीलिए नदी, तालाब या झील में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना पवित्र और ऊर्जादायी माना जाता है।
नदी के प्रवाह में स्नान करने से शरीर के टॉक्सिन्स निकलते हैं और मानसिक शांति मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार, यह डिटॉक्स थैरेपी की तरह काम करता है — इसलिए इसे “शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि” का पर्व भी कहा गया है।
कोरोना काल ने लोगों को सामाजिक दूरी और भीड़ से बचने का संदेश दिया।
नतीजा यह हुआ कि हजारों लोगों ने पहली बार अपने घरों या मोहल्ले के छोटे कृत्रिम तालाबों में छठ मनाना शुरू किया।
अब यह चलन स्थायी होता जा रहा है — क्योंकि यह सुविधाजनक, सुरक्षित और पारिवारिक माहौल में होता है।
फायदे:
भीड़ और संक्रमण से बचाव।
बुजुर्गों और महिलाओं के लिए आसान व्यवस्था।
परिवार और बच्चों की भागीदारी बढ़ती है।
नुकसान:
पारंपरिक नदी पूजा की आध्यात्मिक ऊर्जा की कमी।
जल प्रदूषण और स्थान की कमी।
सामुदायिक एकता और उत्सव का भाव कमजोर होता
जा रहा है।
जमशेदपुर में स्वर्णरेखा नदी छठ पर्व का सबसे प्रमुख स्थल है।
यहां स्थित रघुवर घाट, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के नाम पर बनाया गया, आज शहर का सबसे भीड़भाड़ वाला छठ स्थल है।
हर साल यहां हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। नदी के तट पर दीयों की कतारें, भजन की गूंज और आस्था की लहरें एक दिव्य दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
लेकिन अब स्थिति बदल रही है — रघुवर घाट अपनी क्षमता से कहीं अधिक लोगों को संभाल रहा है।
भीड़ के कारण सुरक्षा, सफाई और जल निकासी की समस्याएं आम हो गई हैं।
स्थानीय श्रद्धालुओं की मांग है कि घाट को और विस्तारित और आधुनिक बनाया जाए ताकि यहां 10,000 से अधिक व्रतधारी आराम से पूजा कर सकें।
रघुवर घाट का विस्तार क्यों जरूरी है
सुरक्षा: बढ़ती भीड़ के कारण दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। घाट के किनारे रेलिंग, लाइटिंग और CCTV की जरूरत है।
स्वच्छता: स्थायी शौचालय, कचरा प्रबंधन और जल निकासी सिस्टम जरूरी हैं।
विस्तार: अतिरिक्त घाट क्षेत्र और पार्किंग सुविधा से यातायात और भीड़ नियंत्रण आसान होगा।
पर्यटन: यह घाट जमशेदपुर का धार्मिक पर्यटन केंद्र बन सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
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