Bagodar Search Operations: खंभरा डैम में डूबे तुलेश्वर सिंह की चौथे दिन भी नहीं मिली लाश, जानें क्या है स्थिति!
बगोदर के खंभरा डैम में डूबे तुलेश्वर सिंह का शव चौथे दिन भी नहीं मिला। एनडीआरएफ की टीम की तलाश जारी है, जानें पूरी घटना।
बगोदर: बगोदर थाना क्षेत्र के खंभरा डैम में सोमवार को डूबे 55 वर्षीय तुलेश्वर सिंह का शव अब तक बरामद नहीं हो सका है। चौथे दिन भी उनकी तलाश जारी रही, लेकिन एनडीआरएफ की टीम को कोई सफलता नहीं मिली। गुरुवार को टीम ने सुबह से लेकर शाम 4 बजे तक कड़ी मेहनत की, लेकिन डूबे हुए व्यक्ति का कोई पता नहीं चला। इस घटना ने न केवल तुलेश्वर सिंह के परिवार को चिंता में डुबो दिया है, बल्कि पूरे गांव में इस मामले को लेकर चर्चा का माहौल बना हुआ है।
खंभरा डैम में तलाश की कठिनाई, पानी का गंदा होना भी एक कारण गगन कुमार सिन्हा, जो टीम के इंस्पेक्टर हैं, ने बताया कि डैम के पानी का गंदा होना और ठंड के कारण खोजबीन में परेशानी हो रही है। गंदे पानी की वजह से डूबे हुए व्यक्ति का शव ऊपर नहीं आ पा रहा है, और ठंड के कारण डीकंपोज़ भी नहीं हो रहा है। इस कारण खोजबीन में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, फिर भी एनडीआरएफ की टीम अपना काम पूरी मेहनत से कर रही है।
परिवार और गांव में बढ़ी चिंता चौथे दिन भी तुलेश्वर सिंह का शव नहीं मिलने पर उनके परिवार के लोग काफी चिंतित हैं। घर के सदस्य और आसपास के लोग हर गुजरते दिन के साथ और अधिक परेशान हो रहे हैं। साथ ही, गांव में भी इस घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिरकार इस डूबे हुए व्यक्ति को कब तक ढूंढा जाएगा।
एनडीआरएफ की टीम लगातार कर रही है प्रयास एनडीआरएफ की टीम, जो इस कठिन काम में लगी हुई है, लगातार दिन-रात काम कर रही है। टीम ने पानी के नीचे जाकर कई जगहों पर खोजबीन की है, लेकिन डूबे व्यक्ति का कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है। टीम ने शव के न मिलने पर अपनी पूरी कोशिश जारी रखी है और शुक्रवार को फिर से खोजबीन शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि, ठंड और गंदे पानी के कारण काम में कठिनाई आ रही है, फिर भी अधिकारी और टीम का उत्साह कम नहीं हुआ है।
क्या है खंभरा डैम का इतिहास? खंभरा डैम, जो बगोदर क्षेत्र में स्थित है, एक महत्वपूर्ण जलाशय है, लेकिन इसके पानी में कुछ खास तरह की गंदगी और दूषित तत्वों की समस्या रही है। इसी कारण यहां डूबे हुए शव का जल्दी मिल पाना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, इस तरह के हादसे भविष्य में रोकने के लिए प्रशासन को और भी सतर्क रहने की जरूरत है।
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