राज्य सरकार की उदासीनता से UCIL कर्मचारी सहकारिता उपभोक्ता भंडार बंद होने के कगार पर
UCIL कर्मचारी सहकारिता उपभोक्ता भंडार झारखंड सरकार की उदासीनता के चलते बंद होने के कगार पर है। कर्मचारियों ने UCIL से मदद की गुहार लगाई है, जबकि स्थानीय लोग इस भंडार को बचाने के लिए सरकार से पुनः आपूर्ति की मांग कर रहे हैं।
जमशेदपुर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित UCIL कर्मचारी सहकारिता उपभोक्ता भंडार आज राज्य सरकार की उदासीनता के चलते अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। इस स्थिति ने वहां कार्यरत कर्मचारियों को निराश कर दिया है, जो अब UCIL से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
समय की मार और सरकारी उदासीनता
एक समय था जब झारखंड सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा मुसाबनी प्रखंड से चावल, गेहूं, केरोसिन और चीनी की आपूर्ति इस भंडार को नियमित रूप से की जाती थी। परंतु, बाद में साजिश के तहत इस आपूर्ति को रोक दिया गया। इससे इस उपभोक्ता भंडार की आमदनी पर गहरा असर पड़ा और यह घाटे में चलने लगा।
UCIL का सहारा और फिर धोखा
UCIL ने इस संकट से उबरने के लिए इस भंडार को सहारा दिया और अपनी कैंटीन और अस्पताल के लिए राशन की आपूर्ति यहीं से करनी शुरू की। परंतु, बाद में UCIL ने भी मुंह मोड़ लिया और इस भंडार से सामान लेना बंद कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि इस भंडार का मुनाफा शून्य पर पहुंच गया।
भारत गैस एजेंसी का सहारा
वर्तमान में यह उपभोक्ता भंडार सिर्फ भारत गैस एजेंसी के 1600 उपभोक्ताओं के सहारे ही चल रहा है। स्थानीय लोग और कर्मचारी झारखंड सरकार से इस भंडार को दोबारा चीनी, गेहूं, दाल और केरोसिन आवंटित करने की मांग कर रहे हैं ताकि इसको बचाया जा सके।
कर्मचारियों की गुहार
भंडार के कर्मचारियों का कहना है कि वेतन देने के पैसे मुश्किल से आ पाते हैं। उन्होंने UCIL से इस उपभोक्ता भंडार को बचाने की अपील की है। उनका कहना है कि अगर सरकार और UCIL सहयोग करें, तो इस भंडार को पुनः जीवित किया जा सकता है।
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