सरकार बेरोजगारी से निपटने में नाकाम: भाजपा और आजसू नेताओं का आरोप

भाजपा और आजसू नेताओं ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा, कहा सरकार युवाओं को रोजगार देने में विफल रही है।

Sep 7, 2024 - 16:21
Sep 7, 2024 - 16:37
सरकार बेरोजगारी से निपटने में नाकाम: भाजपा और आजसू नेताओं का आरोप
सरकार बेरोजगारी से निपटने में नाकाम: भाजपा और आजसू नेताओं का आरोप

सरकार पर बेरोजगारी से निपटने में विफल रहने के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। भाजपा एसटी मोर्चा के जिला मंत्री मनोज सरदार और आजसू के प्रखंड अध्यक्ष बबलू गोप ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि वर्तमान सरकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह असफल रही है। इन नेताओं का आरोप है कि रोजगार न मिलने के कारण सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के युवा अपने घर-बार छोड़कर अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

प्रेस वार्ता का मुख्य मुद्दा:

प्रेस वार्ता में मनोज सरदार और बबलू गोप ने जोर देकर कहा कि सरकार बेरोजगारी के खिलाफ उठाए जाने वाले जरूरी कदमों को नजरअंदाज कर रही है। उनका कहना था कि सरकार न केवल रोजगार सृजन में नाकाम रही है, बल्कि बेरोजगार युवाओं को मिलने वाला बेरोजगारी भत्ता भी अब तक नहीं दिया जा सका है।

मनोज सरदार ने कहा, "सरकार द्वारा शुरू किया गया 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम महज एक धोखा है।" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता को आश्वासन देकर केवल समय बर्बाद कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस परिणाम नहीं दिख रहे। इसके अलावा, पहले के "जनता दरबार" कार्यक्रम में दिए गए आवेदनों का समाधान कितने मामलों में हुआ, इसका कोई पुख्ता डाटा सरकार के पास नहीं है।

सरकार के प्रयासों पर सवाल:

नेताओं ने सवाल उठाया कि जब कई ग्राम पंचायतों में मुखिया, रोजगार सेवक और पंचायत सेवक हड़ताल पर हैं, तो सरकार किस तरह से "सरकार आपके द्वार" कार्यक्रम चला रही है? उनका आरोप है कि बाल विकास परियोजना में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। दो महीने पहले सभी सुपरवाइजरों का स्थानांतरण किया गया था, लेकिन इसके बावजूद वे अभी भी प्रखंड कार्यालयों में तैनात हैं। फील्ड में न जाकर, वे केवल कार्यालयों में बैठकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।

सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण:

यह स्पष्ट है कि वर्तमान स्थिति ने ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को सबसे अधिक प्रभावित किया है। रोजगार की कमी और सरकारी नीतियों की असफलता ने कई युवाओं को अपने घरों से दूर अन्य राज्यों की ओर पलायन करने पर मजबूर कर दिया है। इसके अलावा, सरकारी कार्यक्रमों की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। नेताओं का कहना है कि यदि सरकार इसी तरह काम करती रही, तो आने वाले समय में हालात और भी बदतर हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

बेरोजगारी की इस समस्या को हल करने के लिए सरकार को तुरंत और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। केवल योजनाओं की घोषणाएं और कार्यक्रमों का आयोजन करना काफी नहीं है, बल्कि उन्हें धरातल पर लागू करना भी जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को स्थायी और सम्मानजनक रोजगार देने के लिए नीति-निर्माताओं को गंभीरता से विचार करना होगा।

Chandna Keshri मैं स्नातक हूं, लिखना मेरा शौक है।