Rewari Farewell: ‘Baby, तू आया क्यों नहीं?’: एयरफोर्स पायलट सिद्धार्थ की अंतिम यात्रा में मंगेतर का रो-रो कर बुरा हाल

गुजरात में जगुआर क्रैश में शहीद हुए IAF पायलट सिद्धार्थ यादव का रेवाड़ी में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। सगाई के 10 दिन बाद ही हुआ दुखद अंत, मंगेतर की चीखों ने हर आंख नम कर दी।

Apr 6, 2025 - 11:13
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Rewari Farewell: ‘Baby, तू आया क्यों नहीं?’: एयरफोर्स पायलट सिद्धार्थ की अंतिम यात्रा में मंगेतर का रो-रो कर बुरा हाल
Rewari Farewell: ‘Baby, तू आया क्यों नहीं?’: एयरफोर्स पायलट सिद्धार्थ की अंतिम यात्रा में मंगेतर का रो-रो कर बुरा हाल

Rewari Farewell – हरियाणा के रेवाड़ी जिले में शुक्रवार को वो मंजर देखने को मिला, जिसने हर दिल को झकझोर दिया। 26 वर्षीय भारतीय वायुसेना के फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव भलखी माजरा में अंतिम विदाई दी गई। गुजरात के जामनगर में 3 अप्रैल को जगुआर फाइटर जेट क्रैश में शहीद हुए सिद्धार्थ की अंतिम यात्रा में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। मगर उस भीड़ में सबसे दर्दनाक लम्हा तब आया जब उनकी मंगेतर सनिया ने बेसाख्ता कहा – "Baby, तू आया क्यों नहीं?"

सगाई के 10 दिन बाद टूटा रिश्ता

23 मार्च को सगाई हुई थी और 2 नवंबर को शादी होनी थी। सिद्धार्थ और सनिया ने ज़िंदगी को लेकर हज़ारों सपने बुने थे, मगर नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। वायरल हुए एक वीडियो में सनिया बार-बार कहती सुनी गईं – “एक बार चेहरा दिखा दो, बस एक बार।” उनकी सिसकियों ने हर आंख को नम कर दिया।

सेना परिवार से था गहरा नाता

सिद्धार्थ यादव एक बहादुर और अनुशासित परिवार से आते थे। उनके परदादा ब्रिटिश इंडिया के बंगाल इंजीनियर में थे, दादा पैरा मिलिट्री में, और पिता सुषील यादव वायुसेना में सेवारत रह चुके हैं। सिद्धार्थ ने NDA क्लियर कर 2016 में ट्रेनिंग शुरू की और तीन साल बाद भारतीय वायुसेना में बतौर फाइटर पायलट शामिल हुए।

गांव में उमड़ा जनसैलाब

जब सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो मातम पसर गया। अंतिम यात्रा में ग्रामीणों से लेकर पूर्व मंत्री बनवारी लाल, बीजेपी विधायक कृष्ण कुमार, सेना और पुलिस के अधिकारी शामिल हुए। वायुसेना के अधिकारियों ने सिद्धार्थ की टोपी उनकी मां के सिर पर रखकर एक विशेष सम्मान भी दिया।

मां ने कहा – फिर भी भेजूंगी बेटों को फौज में

सिद्धार्थ की मां सुशीला देवी ने आंखों में आंसू लिए कहा – "मैं फिर भी हर मां से कहूंगी कि बेटे को फौज में भेजो। मुझे गर्व है कि मैंने एक वीर को जन्म दिया।” सिद्धार्थ की मां की ये बात आज हर देशभक्त को सोचने पर मजबूर कर रही है।

BSF से एयरफोर्स तक, एक सपना अधूरा रह गया

पिता सुषील यादव का सपना था – “मेरा बेटा एक दिन एयर चीफ बने।” वो सपना अब स्मृतियों में रह गया। सिद्धार्थ हाल ही में छुट्टी पर घर आए थे, सगाई की और ड्यूटी पर लौट गए। उन्हें क्या पता था कि ये आखिरी विदाई होगी।

सिस्टम की तरफ से मुआवजा और नौकरी

IAF और सरकार की ओर से मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की गई है। यह श्रद्धांजलि एक सच्चे रक्षक को है, जिसने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।