Parliament Amendment: वक्फ संपत्ति कानून में बड़ा बदलाव, अब गैर-मुस्लिम भी होंगे बोर्ड का हिस्सा!
वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन के लिए संसद में पेश हुआ नया बिल बना चर्चा का विषय। अब गैर-मुस्लिम सदस्य भी होंगे वक्फ काउंसिल में शामिल। जानिए क्या हैं बिल के प्रमुख बदलाव और उनका भविष्य में क्या हो सकता है असर।

नई दिल्ली से संसद भवन तक इन दिनों एक बिल ने खासा ध्यान खींचा है – वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन से जुड़ा बिल, जिसे 'यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी और डेवलपमेंट एक्ट' नाम देने का प्रस्ताव है। अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किए गए इस बिल को अब तक कई संसदीय प्रक्रिया और सुझावों से गुजारा गया है। आइए जानते हैं क्या है इस बिल की खासियत और क्यों इसे इतना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
इतिहास से वर्तमान तक – वक्फ कानून की पृष्ठभूमि
भारत में वक्फ संपत्तियों का इतिहास मुगल काल से जुड़ा हुआ है। ये संपत्तियां धार्मिक और सामाजिक कल्याण के लिए मुस्लिम समाज द्वारा समर्पित की जाती थीं। 1995 में बनाए गए वक्फ एक्ट ने इन्हीं संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए थे।
वर्तमान में देश में हजारों करोड़ की वक्फ संपत्ति है, जिनका सही प्रबंधन लंबे समय से चुनौती बना हुआ था। अब सरकार इस कानून को ज्यादा पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है।
बिल के मुख्य प्रावधान – क्या है नया?
-
नाम में बदलाव:
वक्फ एक्ट 1995 को नया नाम दिया जाएगा – Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act। -
घोषणा करने वाले की शर्तें सख्त:
अब केवल वही व्यक्ति वक्फ संपत्ति घोषित कर सकेगा जो कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम धर्म का अनुयायी हो और संपत्ति का मालिक हो। -
'यूज़र वक्फ' की समाप्ति:
अब सिर्फ लंबे समय तक धार्मिक उपयोग से किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा। -
महिला अधिकारों का ध्यान:
'वक्फ अल-अल औलाद' अब उत्तराधिकार से महिलाओं को वंचित नहीं कर सकेगा। -
बोर्ड की संरचना में बदलाव:
अब वक्फ काउंसिल में दो गैर-मुस्लिम सदस्य भी होंगे। जबकि मुस्लिम सदस्यों में कम से कम दो महिलाएं होंगी। -
रजिस्ट्रेशन और लेखा परीक्षण पर केंद्र का नियंत्रण:
अब केंद्र सरकार वक्फ पंजीकरण, खातों के प्रकाशन और लेखा परीक्षण के नियम बनाएगी। -
अपील का अधिकार:
अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी, जो पहले मना था। -
अलग-अलग बोर्ड की अनुमति:
अब आगाखानी और बोहरा संप्रदाय के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाए जा सकेंगे।
इस बिल से जुड़ी प्रमुख बहसें
वक्फ संपत्तियों को लेकर हमेशा पारदर्शिता की मांग रही है। जहां एक ओर यह बिल प्रशासनिक दक्षता और समावेशिता बढ़ाने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर कई संगठनों को डर है कि यह धार्मिक स्वतन्त्रता और स्वशासन में हस्तक्षेप कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों को राजनैतिक और सामाजिक न्याय के बड़े कैनवस पर ला रहा है।
क्यों है ये बिल हर भारतीय के लिए अहम?
-
देश में करोड़ों की वक्फ संपत्ति है, जो सही प्रबंधन से शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक उत्थान में योगदान कर सकती है।
-
बिल में महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की भागीदारी से समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।
-
ये कानून अब केवल मुस्लिम समुदाय का विषय न रहकर राष्ट्रीय नीति का अहम हिस्सा बन चुका है।
ये संशोधन भारत में वक्फ संपत्तियों के भविष्य को नई दिशा देगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह बिल राज्यसभा में कैसा प्रदर्शन करता है और क्या यह देश की धार्मिक-सामाजिक संरचना में नया संतुलन ला पाएगा।
What's Your Reaction?






