Bokaro Protest: आंदोलन में युवक की मौत के बाद बढ़ा तनाव, प्रशासन ने बनाई जांच समिति, मुआवजे का ऐलान
बोकारो स्टील प्लांट के पास प्रदर्शन के दौरान युवक की मौत पर हंगामा मच गया है। प्रशासन ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है और मृतक के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। जानिए क्या है पूरा मामला।

Bokaro Action - झारखंड के बोकारो में एक अप्रेंटिस आंदोलन ने अचानक उस वक्त गंभीर मोड़ ले लिया जब प्रदर्शन के दौरान एक युवक की मौत हो गई। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे राज्य की सियासत को गर्म कर दिया है। गुरुवार को 'बीएसएल विस्थापित अप्रेंटिस संघ' द्वारा स्टील प्लांट के प्रशासनिक भवन के पास प्रदर्शन किया जा रहा था, उसी दौरान सीआईएसएफ द्वारा किए गए लाठीचार्ज में 26 वर्षीय एक युवक की जान चली गई।
तीन सदस्यीय समिति करेगी जांच
बोकारो के उपायुक्त जाधव विजय नारायण राव ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है। इस जांच पैनल की अध्यक्षता चास एसडीओ प्रांजल ढांडा कर रहे हैं। समिति यह जांच करेगी कि आखिरकार स्थिति नियंत्रण से बाहर कैसे हुई और लाठीचार्ज की आवश्यकता क्यों पड़ी।
बीएसएल देगा 25 लाख का मुआवजा और नौकरी
डीसी ने जानकारी दी कि बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन ने मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्णय लिया है। साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी। वहीं, बीएसएल के संचार प्रमुख मणिकांत धान ने बताया कि घटना के बाद सभी गेट खाली कराए गए और लगभग 5,000 मजदूरों को संयंत्र से बाहर निकाला गया।
बीएनएस की धारा 163 के तहत प्रतिबंध
घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए बीएसएल क्षेत्र में भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इसके तहत पांच या अधिक लोगों के एकत्र होने, धरना देने और आग्नेयास्त्र ले जाने पर रोक लगाई गई है। इस फैसले के बाद ‘बीएसएल विस्थापित अप्रेंटिस संघ’ ने अपना आंदोलन अस्थायी रूप से वापस ले लिया।
राजनैतिक हलचल तेज, विधायक को हिरासत में लिया गया
इस घटना की प्रतिक्रिया शुक्रवार को पूरे बोकारो में देखी गई, जब कांग्रेस, आजसू पार्टी और झारखंड लोक कल्याण मंच (जेएलकेएम) समेत कई दलों ने बंद बुलाया। बंद के दौरान कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह को पुलिस ने एहतियातन हिरासत में ले लिया। हालांकि शनिवार को उन्हें रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उन्होंने कहा, “मुझे आंदोलन को कमजोर करने के लिए हिरासत में लिया गया, लेकिन मैं विस्थापितों के अधिकारों की लड़ाई जारी रखूंगी।”
आंदोलन का इतिहास और प्रभाव
बीएसएल विस्थापित अप्रेंटिस संघ का यह आंदोलन कोई नया नहीं है। सालों से विस्थापितों और अप्रेंटिस युवाओं की नियुक्ति को लेकर सरकार और प्रबंधन से मांग की जाती रही है। हालिया घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि स्थानीय युवाओं की बेरोजगारी और विस्थापन एक गंभीर मुद्दा है, जिसे अब अनदेखा नहीं किया जा सकता।
बोकारो में हुई यह घटना सिर्फ एक प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि यह स्थानीय जनता की नाराजगी और प्रशासनिक तंत्र के प्रति बढ़ती असंतोष का प्रतीक बन गई है। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई से यह तय होगा कि सिस्टम पर जनता का भरोसा कायम रह पाएगा या नहीं।
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