Ranchi Protest: शिक्षकों की मांगों पर शिक्षा मंत्री से मुलाकात, राहत का इंतजार
रांची में वित्त रहित शिक्षकों ने मंत्री रामदास सोरेन से मुलाकात कर राज्यकर्मी का दर्जा और अनुदान बढ़ोतरी की मांगें रखीं। पढ़ें पूरी खबर।
रांची में मंगलवार का दिन वित्त रहित शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण रहा। वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के आवास पर मुलाकात कर अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा।
इस दौरान मंत्री का भव्य स्वागत किया गया। उन्हें फूल-माला, अंगवस्त्र और बुके देकर शिक्षकों ने अपने सम्मान और उम्मीदों को दर्शाया।
क्या थीं शिक्षकों की मुख्य मांगें?
शिक्षकों ने अपनी दो प्रमुख मांगों पर जोर दिया:
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राज्यकर्मी का दर्जा:
- शिक्षकों ने विभागीय पत्र की लंबित स्थिति का हवाला दिया, जो वर्तमान में कार्मिक विभाग में अटका हुआ है।
- राज्यकर्मी का दर्जा मिलने से वित्त रहित शिक्षकों को सरकारी सेवाओं जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी।
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75% अनुदान बढ़ोतरी:
- शिक्षकों ने वित्त विभाग द्वारा लौटाए गए संलेख पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
- इससे आर्थिक सहायता में सुधार होने की उम्मीद है।
शिक्षा मंत्री का क्या रहा रुख?
मंत्री रामदास सोरेन ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि दोनों मुद्दों पर तुरंत कार्रवाई की जाए। मंत्री ने यह भी कहा कि:
"समय-समय पर इस विषय पर चर्चा होती रहेगी और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा।"
शिक्षकों के लिए क्यों अहम है यह आंदोलन?
वित्त रहित शिक्षक आंदोलन की नींव 1990 के दशक में पड़ी थी, जब निजी स्कूलों और कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों ने अपने काम के बदले उचित वेतन और मान्यता की मांग शुरू की। इन शिक्षकों को न तो सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलता है और न ही किसी प्रकार की आर्थिक सुरक्षा।
वर्तमान में, राज्य भर में हजारों वित्त रहित शिक्षक हैं, जो सीमित वेतन पर काम कर रहे हैं। उनकी मांगें अगर पूरी होती हैं, तो यह न केवल उनके जीवन को बदल देगी बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का बड़ा कदम होगा।
मोर्चा के नेताओं ने क्या कहा?
मोर्चा के नेता मनोज कुमार, रघु विश्वकर्मा, और मनीष कुमार ने कहा कि:
"इन मांगों के पूरा होने से वित्त रहित शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। यह सिर्फ हमारा संघर्ष नहीं है, बल्कि हमारे अधिकारों के लिए लड़ाई है।"
बैठक में कौन-कौन शामिल थे?
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख शिक्षकों के नाम:
- कुंदन कुमार सिंह
- रघुनाथ सिंह
- फजलुल कादिर अहमद
- अरविंद सिंह
- देवनाथ सिंह
- मनीष कुमार
- और लगभग 30 अन्य शिक्षक
इतिहास: वित्त रहित शिक्षक आंदोलन का सफर
वित्त रहित शिक्षक आंदोलन का इतिहास शिक्षा प्रणाली में सुधार की लड़ाई का प्रतीक है। यह आंदोलन 1990 के दशक से शुरू हुआ, जब शिक्षकों को उनकी सेवाओं के लिए उचित मान्यता और वेतन नहीं मिलता था।
यह पहली बार नहीं है जब इन शिक्षकों ने अपनी मांगों के लिए आवाज उठाई है। लेकिन हर बार सरकारी प्रक्रिया की धीमी गति ने इनकी उम्मीदों को चोट पहुंचाई है।
क्या आगे बढ़ेगी शिक्षकों की मांग?
शिक्षकों की मांगें निश्चित रूप से जायज़ हैं और सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वह इन मुद्दों पर तेजी से काम करे। राज्यकर्मी का दर्जा और अनुदान बढ़ोतरी न केवल इन शिक्षकों के लिए राहत लाएगा, बल्कि शिक्षा के स्तर में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
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