Panchet में महिलाओं का आंदोलन: शराब बिक्री को रोकने के लिए एकजुट हुईं महिलाएं
पंचेत के चिरकुंडा नगर परिषद क्षेत्र में महिलाओं ने अवैध शराब बिक्री के खिलाफ अभियान चलाकर गांव में शांति बनाए रखने का संकल्प लिया। जानें इस अभियान का पूरा विवरण और इसकी अहमियत।
1 दिसंबर 2024: पंचेत, झारखंड का एक छोटा लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र, इन दिनों एक खास वजह से चर्चा में है। चिरकुंडा नगर परिषद क्षेत्र की तांतीकनाली बस्ती में महिलाओं ने शनिवार को एकजुट होकर अवैध शराब बिक्री के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि गांव में शराब की बिक्री को पूरी तरह से बंद कराया जाए।
अवैध शराब का बढ़ता संकट
तांतीकनाली बस्ती में 15-20 की संख्या में अवैध शराब की दुकानें चल रही हैं, जिससे यहां के लोग, खासकर बच्चे, प्रभावित हो रहे हैं। महिलाओं का कहना है कि इन दुकानों के कारण न केवल घर और गांव का माहौल बिगड़ रहा है, बल्कि हिंसा और झगड़े भी बढ़ रहे हैं। इस समस्या का असर गांव के विकास और शांतिपूर्ण माहौल पर भी पड़ रहा है।
महिलाओं का संकल्प: गांव में शराब नहीं चलने देंगे
इस अभियान में शामिल महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि वे अपने गांव में अवैध शराब बिक्री को कभी भी सफल नहीं होने देंगे। यदि कोई व्यक्ति शराब बेचने की कोशिश करेगा, तो उसे पुलिस थाने में सूचना देने के लिए तैयार रहेंगी। यह कदम उन्होंने अपनी सुरक्षा और गांव की सामाजिक स्थिति को बनाए रखने के लिए उठाया है।
झामुमो के चिरकुंडा नगर अध्यक्ष रंजीत बाउरी, हिमल रखा, पूर्व पार्षद मिता बाउरी, और समाजसेवी मनोरंजन बाउरी जैसे प्रमुख नेता भी इस अभियान में शामिल हुए। उनके साथ-साथ अनिल बाउरी, छाया राखा, रेखा बारी, और सीता बाउरी जैसी कई अन्य महिलाएं भी इस मुहिम में सक्रिय रूप से भाग ले रही थीं।
इतिहास और वर्तमान संदर्भ
पंचेत क्षेत्र में ऐसे आंदोलनों की परंपरा रही है जहां ग्रामीण एकजुट होकर सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। झारखंड की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में महिला शक्ति और समुदाय के एकजुट प्रयासों का एक लंबा इतिहास है। यह आंदोलन उसी ऐतिहासिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए एक नई दिशा देने का प्रयास है।
ग्रामीण समाज की भूमिका
महिलाओं के इस प्रयास से यह स्पष्ट हो गया है कि समाज में बदलाव के लिए केवल सरकार या प्रशासन की नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। गांव में अवैध शराब बिक्री के खिलाफ इस आंदोलन को देखकर अन्य क्षेत्रों के लोग भी प्रेरित हो सकते हैं। यह अभियान दिखाता है कि जब समाज का एक वर्ग जागरूक होता है, तो वह अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा हो सकता है।
आगे का रास्ता
महिलाओं ने अपने संकल्प के साथ यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे अपने गांव में अवैध शराब को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए सरकार और पुलिस प्रशासन से सहयोग की उम्मीद करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पुलिस और प्रशासन की मदद से इस मुद्दे को सुलझाया जाए, तो गांव का वातावरण बेहतर हो सकता है।
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