Kandra में सनसनी: झारखंड आंदोलनकारी का शव रेलवे लाइन पर मिला
कांड्रा में रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे झारखंड आंदोलनकारी वरुण चक्रवर्ती का शव मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। जानें इस घटना की पूरी जानकारी और इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में।
कांड्रा, झारखंड का एक ऐतिहासिक स्थल, रविवार तड़के उस समय हैरान रह गया जब रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे कांड्रा-चांडिल अप लाइन के पोल संख्या 390/एस 4 के समीप रेलवे लाइन से 70 वर्षीय वरुण चक्रवर्ती का शव बरामद हुआ। यह घटना क्षेत्र में खलबली मचाने वाली साबित हुई है। शव की पहचान झारखंड आंदोलन के एक प्रमुख नेता के रूप में की गई है, जिनकी योगदान से राज्य के अलगाव की लड़ाई को बल मिला था।
झारखंड आंदोलन में वरुण चक्रवर्ती का योगदान
वरुण चक्रवर्ती का नाम झारखंड आंदोलन के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने अपने जीवन को राज्य के अलगाव की इस लड़ाई को समर्पित कर दिया था। कांड्रा क्षेत्र में ही उन्होंने अपना आशियाना बनाया और यहीं से आंदोलन की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी प्रतिबद्धता और संघर्ष की कहानियां आज भी लोगों की ज़ुबां पर हैं। वर्तमान में वे एसकेजी के बंद पड़े सेवा सदन में रह रहे थे।
पुलिस की कार्रवाई और घटनास्थल की जांच
घटना की सूचना मिलते ही कांड्रा पुलिस और कांड्रा आरपीएफ ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव की स्थिति का जायजा लिया और मामले की जांच शुरू कर दी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में किसी भी प्रकार की संदेहास्पद स्थिति की जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन विस्तृत जांच की जा रही है।
परिवार और रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया
वरुण चक्रवर्ती के निधन की सूचना मिलते ही उनके परिजनों और झारखंड आंदोलन से जुड़े लोगों ने अपनी गहरी संवेदना प्रकट की। झामुमो केंद्रीय सदस्य सुधीर महतो ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर मृतक के परिवार से मिलकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने इस घटना को राज्य के लिए एक बड़ी क्षति बताया।
सरकार से मिलने वाली पेंशन से गुजर-बसर
बताया जा रहा है कि वरुण चक्रवर्ती को झारखंड सरकार द्वारा आंदोलनकारियों के लिए निर्धारित पेंशन मिलती थी, जिससे वे अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करते थे। इस पेंशन के जरिए उन्होंने अपनी जिंदगी की आखिरी सांस तक सम्मानित जीवन जीने की कोशिश की। उनकी मृत्यु ने राज्य सरकार की ओर से आंदोलनकारियों को दी जा रही सहायता की अहमियत को भी एक बार फिर रेखांकित किया है।
भविष्य की योजना
कांड्रा पुलिस और स्थानीय प्रशासन अब उनके परिवार वालों से संपर्क कर रहे हैं और मामले की तहकीकात में जुटे हैं। झारखंड आंदोलन के इस महान योद्धा की असमय मृत्यु ने इलाके में दुख का माहौल पैदा कर दिया है, लेकिन उनके योगदान को याद करने और उनके सम्मान में उचित कदम उठाने के लिए समाज और सरकार दोनों को सक्रिय रहना होगा।
What's Your Reaction?