ओत गुरु लाको बोदरा की 106वीं जयंती पर बड़ा आयोजन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आदिवासी संस्कृति के लिए की बड़ी मांग!

ओत गुरु लाको बोदरा की 106वीं जयंती पर सरायकेला में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आदिवासी भाषा-संस्कृति को लेकर गृह मंत्री अमित शाह की सराहना की और एकजुटता की अपील की।

Sep 19, 2024 - 17:51
 0
ओत गुरु लाको बोदरा की 106वीं जयंती पर बड़ा आयोजन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आदिवासी संस्कृति के लिए की बड़ी मांग!
ओत गुरु लाको बोदरा की 106वीं जयंती पर बड़ा आयोजन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आदिवासी संस्कृति के लिए की बड़ी मांग!

सरायकेला, 19 सितंबर 2024: ओत गुरु लाको बोदरा की 106वीं जयंती के मौके पर गुरुवार को सरायकेला के बड़बिल स्थित आदिवासी कला केंद्र में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने ओत गुरु लाको बोदरा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया।

गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ

अपने संबोधन में चंपई सोरेन ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह की जमकर तारीफ की। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार आदिवासियों की भाषा और संस्कृति को लेकर गंभीर है। हाल ही में दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित धरने के दौरान गृह मंत्री ने हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दिया है। चंपई सोरेन ने बताया कि उन्होंने भी पत्र लिखकर इस दिशा में सार्थक कदम उठाने की अपील की है।

झारखंड को संवारने की बात

पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखंड राज्य का गठन किया था। इसके बाद से बीजेपी ने इस राज्य के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भाषा और संस्कृति के लिए एकजुट हों और उन लोगों का समर्थन करें, जो आदिवासियों के हित में काम कर रहे हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस कार्यक्रम के दौरान कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। आदिवासी कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत के जरिए अपनी संस्कृति का प्रदर्शन किया, जिससे सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

कार्यक्रम में अन्य लोग भी रहे मौजूद

इस मौके पर जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, बबलू सोरेन, चंचल गोस्वामी समेत कई अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। सभी ने ओत गुरु लाको बोदरा के योगदान को याद किया और उनके विचारों पर चलने की अपील की।

आदिवासी कला और संस्कृति के इस खास आयोजन में भाग लेने वाले लोगों ने एक बार फिर से अपनी भाषा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में काम करने का संकल्प लिया।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।