Baridih Ghat: शिव मंदिर के छठ घाट पर क्यों उमड़ी लाखों की भीड़? 36 घंटे का कठिन व्रत तोड़ते समय क्या हुई अद्भुत घटना?
क्या आपने बारीडीह शिव मंदिर के उस छठ घाट का अद्भुत नजारा देखा, जो बिजली की सजावट से चमक उठा? गुरुवार शाम से लेकर आज सुबह तक व्रतियों ने किन खास कामनाओं के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया? अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने इस महापर्व में कौन सा खास योगदान दिया? जानें वह पूरी कहानी, जो बारीडीह की आस्था और सेवाभाव को पूरे शहर के सामने लाती है!
जमशेदपुर, 28 अक्टूबर 2025 – चार दिनों तक चले लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज बारीडीह शिव मंदिर परिसर स्थित घाट पर पूरे समर्पण और भक्तिभाव के साथ शांतिपूर्ण समापन हो गया। शिव के आंगन में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की यह अद्वितीय परंपरा भक्ति और सौहार्द का केंद्र बनी रही।
इस महापर्व को सफल बनाने में मंदिर समिति के अथक प्रयासों के साथ ही, सामाजिक संगठनों और आम श्रद्धालुओं का सेवाभाव भी देखने को मिला, जिसने इस पर्व की भव्यता को चार चाँद लगा दिए।
36 घंटे का निर्जला व्रत और आस्था का बंधन
गुरुवार की शाम को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य (डूबते सूर्य) को पहला अर्घ्य अर्पण किया था, जिसके बाद आज सुबह यानी सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को भावपूर्ण अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का विधिवत समापन हुआ।
व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास तोड़ा और अपने परिवार की सुख-समृद्धि, धन-धान्य और आरोग्य की कामना की। छठ पर्व की यह कठिन साधना और समर्पण ही इसे भारतीय संस्कृति के सबसे महान पर्वों में से एक बनाती है।
छठ पूजा के पीछे का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा है। इसे प्रकृति की पूजा और सूर्य की शक्ति का आभार प्रकट करने के रूप में देखा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि सूर्य की किरणें सृष्टि की ऊर्जा का स्रोत हैं, और जल में खड़े होकर अर्ध्य देने से शरीर और मन दोनों का शोधन होता है।
झूम उठा बारीडीह: भक्ति की रोशनी में डूबा घाट
बारीडीह शिव मंदिर के आसपास का पूरा इलाका आज सुबह भक्ति में सराबोर रहा। मंदिर समिति ने घाट की सफाई से लेकर बिजली की आकर्षक लाईटों की सजावट तक की पूरी व्यवस्था की थी। शिव मंदिर में छठ व्रतियों के साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भी अर्घ्य दिया।
शहर के विभिन्न मोहल्लों से हर कदम शिव मंदिर छठ घाटों की ओर बढ़ रहे थे। माहौल को और भी भावपूर्ण बना रहे थे छठ के मधुर गीत, जैसे: 'कांच के बांस के बहंगिया...', 'उगे हो सुरज देव...', 'केलवा के पात पर उगेला सुरज देव...'। व्रती महिलाएं सिर पर दउरा व सूप लिये श्रद्धा और संयम की जीती-जागती तस्वीर लग रही थीं।
सेवाभाव की अद्भुत मिसाल: शहीदों को नमन
इस महापर्व में सेवाभाव की अद्भुत मिसाल भी देखने को मिली। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, जमशेदपुर के संस्थापक वरुण कुमार और नमन शहीदों को नमन सह संयोजक ने अपनी टीम के साथ मिलकर सक्रिय रूप से श्रद्धालुओं के बीच दूध और दातुन इत्यादि वितरित किए।
इस अवसर पर समिति के महामंत्री आशीष झा के अलावा रतन कुमार शुक्ला, रवि कुमार शुक्ला, दुद्धेश्वर मिश्रा, कार्तिक झा, रोशन झा, पंडित हीरालाल मिश्रा, पंडित हीरा कान्त झा, शिबु जी, रतन कुमार, सतीश कुमार झा, बीबी सिंह और विशेष रूप से लाईट सजावट के लिए नीतीश एवं मुकेश का विशेष योगदान रहा। इन सभी के संयुक्त प्रयासों से बारीडीह शिव मंदिर में छठ पूजा का यह समापन अस्मरणीय और प्रेरक बन गया।
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