घाटशिला: झारखंड के घाटशिला प्रखंड अंतर्गत बड़ाखुर्शी पंचायत की घुंटिया सबर बस्ती इस समय गहरे जल संकट से जूझ रही है। बस्ती का सोलर आधारित जलमीनार एक सप्ताह से खराब पड़ा है, जिससे पूरे इलाके में पेयजल संकट गहराता जा रहा है।
पानी के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण
घुंटिया सबर बस्ती के निवासी रोजमर्रा की जरूरत के लिए पानी की तलाश में इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पानी का एकमात्र स्रोत यह जलमीनार था, जो अब बंद पड़ा है। इसकी वजह से पानी लाने के लिए उन्हें कई किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।
गिर सकती है जलमीनार, हादसे का खतरा
ग्रामीणों ने बताया कि यह जलमीनार बांस के सहारे खड़ी है, जो अब कमजोर हो चुकी है। किसी भी समय यह गिर सकती है, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से तत्काल मरम्मत कराने की मांग की है।
इतिहास: सबर बस्ती और जल संकट की पुरानी कहानी
झारखंड की सबर जनजाति, जिसे राज्य की सबसे पुरानी और विशेष रूप से कमजोर जनजातियों में गिना जाता है, अक्सर बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना करती है। पानी की किल्लत झारखंड के इन ग्रामीण इलाकों में नई समस्या नहीं है।
2000 के दशक में, जब सोलर जलमीनार तकनीक को ग्रामीण इलाकों में लागू किया गया था, तब इसे पानी की समस्या का स्थायी समाधान माना गया था। लेकिन समय पर रखरखाव की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण आज ये जलमीनार खुद एक समस्या बन गए हैं।
ग्रामीणों का गुस्सा और मांग
घुंटिया बस्ती के निवासी इस समस्या को लेकर बेहद नाराज हैं। बस्ती के लोगों ने कहा,
"हमारे पास न तो कुएं हैं, न ही हैंडपंप। यह जलमीनार ही एकमात्र साधन था। अब हमें बच्चों और बुजुर्गों के लिए पानी की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है।"
ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से जल्द से जल्द कार्रवाई करने की अपील की है।
प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल
यह कोई पहली बार नहीं है जब झारखंड के ग्रामीण इलाकों में ऐसी समस्या सामने आई हो। अधिकारियों की उदासीनता और अनदेखी अक्सर इन समस्याओं को और बढ़ा देती है।
सोलर जलमीनार की विफलता: एक बड़ी चिंता
सोलर जलमीनार ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या का समाधान माना जाता था। लेकिन बिना देखरेख और नियमित मरम्मत के, ये जलमीनार ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाते। घुंटिया बस्ती का मामला सरकार और संबंधित विभागों के लिए एक चेतावनी है कि केवल सुविधाएं देना पर्याप्त नहीं है, उनकी निरंतर देखभाल भी जरूरी है।
बस्तीवासियों की उम्मीदें और सरकारी जवाबदेही
सबर बस्ती के निवासियों को उम्मीद है कि उनकी गुहार पर प्रशासन ध्यान देगा। जल संकट के इस कठिन समय में, उनकी प्राथमिक मांग है कि जलमीनार की मरम्मत जल्द से जल्द की जाए।
क्या हो सकता है समाधान?
- रखरखाव: सोलर जलमीनार की समय-समय पर मरम्मत और देखभाल सुनिश्चित की जाए।
- वैकल्पिक व्यवस्था: बस्ती में अस्थायी रूप से पानी के टैंकर भेजे जाएं।
- स्थायी समाधान: कुओं और हैंडपंप जैसी पारंपरिक जल सुविधाओं को पुनर्जीवित किया जाए।
घुंटिया सबर बस्ती का जल संकट झारखंड के ग्रामीण इलाकों की बड़ी समस्याओं की ओर इशारा करता है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इन इलाकों की जरूरतों को प्राथमिकता दें और ग्रामीणों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित न होने दें।