जमशेदपुर एमजीएम अस्पताल में लापरवाही: गर्भवती महिला ने दो दिन तक मृत बच्चे को कोख में लेकर अस्पताल के फर्श पर बिताए, भाजपा नेता के हस्तक्षेप के बाद शुरू हुआ इलाज

जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में एक गर्भवती महिला को दो दिनों तक मृत बच्चे के साथ फर्श पर पड़ा रहने दिया गया। भाजपा नेता के हस्तक्षेप के बाद ही उसका इलाज शुरू हुआ। अस्पताल की इस लापरवाही ने उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

Aug 30, 2024 - 16:17
Aug 30, 2024 - 16:35
जमशेदपुर एमजीएम अस्पताल में लापरवाही: गर्भवती महिला ने दो दिन तक मृत बच्चे को कोख में लेकर अस्पताल के फर्श पर बिताए, भाजपा नेता के हस्तक्षेप के बाद शुरू हुआ इलाज
जमशेदपुर एमजीएम अस्पताल में लापरवाही: गर्भवती महिला ने दो दिन तक मृत बच्चे को कोख में लेकर अस्पताल के फर्श पर बिताए, भाजपा नेता के हस्तक्षेप के बाद शुरू हुआ इलाज

जमशेदपुर के कोल्हान क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बागबेड़ा थाना क्षेत्र के तुरामडीह की निवासी एक गर्भवती महिला को बुधवार सुबह अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उसे बिस्तर तक नसीब नहीं हुआ। महिला को अस्पताल के फर्श पर लिटा दिया गया, जहां वह दो दिनों तक मृत बच्चे को अपनी कोख में लिए पड़ी रही।

घटना का विवरण:

बुधवार सुबह 8 बजे, महिला को उसके पति आर्यन हो ने एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया। महिला की स्थिति नाजुक थी, लेकिन अस्पताल के किसी भी चिकित्सक या कर्मचारी ने उसकी सुध नहीं ली। उसे फर्श पर ही छोड़ दिया गया, जहां वह घंटों तक पड़ी रही। काफी देर बाद एक चिकित्सक ने उसकी जांच की और बताया कि गर्भ में पल रहा बच्चा मर चुका है।

इस भयानक खबर के बावजूद, अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई तत्परता नहीं दिखाई गई। महिला को उसी हालत में लगभग 27 घंटे तक फर्श पर पड़े रहने दिया गया। उसके पति ने कई बार डॉक्टरों से विनती की कि उनकी पत्नी का इलाज किया जाए और मृत बच्चे को गर्भ से निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाए, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।

नेताजी का हस्तक्षेप:

जब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई, तब भाजपा नेता विमल बैठा मौके पर पहुंचे। उन्होंने अस्पताल में हो रही इस घोर लापरवाही पर जमकर हंगामा किया और अस्पताल अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा। इस घटना के बाद ही अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और महिला का इलाज शुरू हुआ।

इस घटना ने एमजीएम अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक गर्भवती महिला, जिसका बच्चा गर्भ में मर चुका हो, उसे उचित चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं करना न सिर्फ अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि यह मानवता के खिलाफ भी है। अगर भाजपा नेता समय पर हस्तक्षेप नहीं करते, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी।

आर्यन हो ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर उनकी पत्नी को कुछ भी होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी एमजीएम अस्पताल प्रशासन की होगी। इस घटना के बाद, अस्पताल की व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार करना और उसमें सुधार लाना अत्यंत आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

Chandna Keshri मैं स्नातक हूं, लिखना मेरा शौक है।