Jharkhand High Court: हाई कोर्ट ने अनुबंध कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर लगाई रोक, सरकार को जल्द देना होगा जवाब
झारखंड हाई कोर्ट ने पेयजल और स्वच्छता विभाग में अनुबंध कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी। सरकार को जल्द से जल्द जवाब देना होगा।
11 दिसंबर 2024: झारखंड सरकार के पेयजल और स्वच्छता विभाग के अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों को हटाने और उनके स्थान पर आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति के आदेश पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह मामला स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के तहत ब्लॉक वॉश कोऑर्डिनेटर के पदों पर कार्यरत कर्मचारियों से संबंधित है। 16 सितंबर को सरकार ने इन कर्मचारियों को हटाकर आउटसोर्स के जरिए नई नियुक्तियों का आदेश जारी किया था।
मामले की पृष्ठभूमि
झारखंड में पेयजल और स्वच्छता विभाग ने सरकारी सेवा की स्थिरता और दक्षता बढ़ाने के लिए आउटसोर्सिंग का रास्ता अपनाया था। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान, अनुबंध कर्मचारियों को अचानक हटाए जाने का आदेश दिया गया, जिससे उनमें चिंता और नाराजगी फैल गई। इससे प्रभावित कर्मचारियों में राम किशुन और अन्य ने हाई कोर्ट का रुख किया और इस निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की।
हाई कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने पाया कि अनुबंध कर्मचारियों को बिना ठोस कारण के हटाना अव्यवसायिक है और इससे उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ सकता है। कोर्ट ने सरकार को इस मामले में जल्दी से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और आदेश की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के आदेशों से कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने मामले की सुनवाई के दौरान तर्क प्रस्तुत किया। उन्होंने अदालत से कहा कि अनुबंध कर्मचारियों को हटाना न केवल उनके लिए अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। नवीन कुमार ने न्यायालय से आग्रह किया कि सरकार को बिना किसी ठोस कारण के कर्मचारियों को हटाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
अधिकारियों और कर्मचारियों का रुख
झारखंड में कर्मचारियों के बीच यह मामला गहरी चिंता का विषय बन गया है। कई कर्मचारियों ने इस फैसले को उनके अधिकारों के खिलाफ बताया और कहा कि ऐसे फैसले से उनके भविष्य की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से परहेज किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अदालत का आदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
भविष्य में क्या होगा?
इस मामले में अदालत का आदेश सरकार को एक स्पष्ट संदेश है कि कर्मचारियों के अधिकारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को अब यह साबित करना होगा कि कर्मचारियों को हटाने का निर्णय सही और आवश्यक था। कोर्ट ने यह भी कहा कि जल्द से जल्द इस पर स्थिति स्पष्ट करने का काम करें।
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