जमशेदपुर में Educational Visit: मुरली पब्लिक स्कूल के छात्रों ने ओल्ड एज होम में बुजुर्गों संग बिताया खास दिन
जमशेदपुर के मुरली पब्लिक स्कूल के छात्रों ने साकची स्थित "आशीर्वाद भवन" ओल्ड एज होम का दौरा कर बुजुर्गों के अनुभव सुने और उनके साथ वक्त बिताया। जानें इस प्रेरणादायक शैक्षिक यात्रा के बारे में।
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जमशेदपुर, 21 नवंबर 2024: मुरली पब्लिक स्कूल ने अपने छात्रों के लिए एक अनूठे शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया। यह दौरा साकची स्थित "आशीर्वाद भवन (ओल्ड एज होम)" पर हुआ, जिसे "फुरिडा" स्वयंसेवी संस्था संचालित करती है। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य छात्रों को बुजुर्गों के जीवन के संघर्षों, उनके अनुभवों और समाज में उनकी भूमिका के महत्व से परिचित कराना था।
स्कूल की प्रिंसिपल, डॉ. नूतन रानी के नेतृत्व में छात्रों और शिक्षिकाओं का एक समूह ओल्ड एज होम पहुंचा। वहाँ के संचालक श्री परमेश्वर प्रसाद दास ने सभी का स्वागत किया और बुजुर्गों से परिचय कराया।
बुजुर्गों के अनुभवों से मिला जीवन का सबक
ओल्ड एज होम में रह रहे बुजुर्गों ने अपने अनुभव साझा किए, जिससे छात्रों को जीवन की कठिनाइयों और पारिवारिक मूल्यों की महत्ता समझ आई।
श्री आनंद मोहन, एक बुजुर्ग, ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा:
"हम अपने माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करें। जीवन में सच्ची सफलता उनके आशीर्वाद से ही मिलती है। योग और आध्यात्मिकता को अपनाकर अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन करें।"
उनकी बातें सुनकर छात्रों में अपने परिवार और बुजुर्गों के प्रति आदर और प्रेम का भाव प्रबल हुआ।
बुजुर्गों की सेवा: एक अनमोल अनुभव
डॉ. नूतन रानी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि:
"बुजुर्ग हमारे जीवन में बरगद के पेड़ के समान होते हैं। उनकी छाया में हमें जीवन के कठिन रास्तों पर चलने की प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलता है। हमें अपने बुजुर्गों का आदर और देखभाल करनी चाहिए।"
इसके बाद, छात्रों ने बुजुर्गों के साथ समय बिताया। उन्होंने उनके साथ गीत गाए, और संगीत का आनंद लिया। इस छोटे से समय ने दोनों पीढ़ियों के बीच भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा दिया।
शिक्षिकाओं ने साझा किए अपने विचार
दौरे में शामिल शिक्षिकाओं ने भी अपने विचार साझा किए।
- श्रीमती मालती: "बुजुर्गों के साथ बातचीत करने और खुशियों में शामिल होने से उनका अकेलापन दूर किया जा सकता है।"
- सुश्री छवि: "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम बुजुर्गों को वह सम्मान दें, जो वे अपने जीवन में संघर्ष करके अर्जित कर चुके हैं।"
- श्रीमती मिताली: उन्होंने एक मार्मिक कविता सुनाई:
"बुजुर्गों की भी अजीब कहानी है,
ना खाने को रोटी, आँखों में बस पानी है।
शरीर के हाथों हारे, ये मन के जवान हैं,
घर में बुजुर्ग ज़रूरी, क्योंकि ये भगवान हैं।"
इन विचारों ने छात्रों और उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर दिया।
शिक्षा के साथ सामाजिक सेवा का महत्व
मुरली पब्लिक स्कूल ने इस शैक्षिक यात्रा के माध्यम से छात्रों को न केवल पढ़ाई बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक किया। आज की पीढ़ी को यह समझाने की आवश्यकता है कि बुजुर्ग हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उनकी देखभाल हमारी जिम्मेदारी है।
छात्रों और शिक्षकों के इस दौरे ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है। समाज के साथ जुड़ाव और मानवीय मूल्यों की शिक्षा जीवन में सच्ची सफलता का मार्ग दिखाती है।
आशीर्वाद भवन के बुजुर्गों के साथ बिताया यह समय छात्रों के लिए एक अमूल्य सीख बनकर रहेगा, जो उन्हें जीवन में सही दिशा दिखाने में मदद करेगा।
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