Jharkhand-Bihar Border: स्वास्थ्य केन्द्र की कमी से जूझते जरगा पंचायत के गांव

झारखंड-बिहार सीमा पर बसे जरगा पंचायत के गांवों में स्वास्थ्य केंद्र की गंभीर कमी। जानिए कैसे बीमारियों के दौरान ग्रामीणों को हो रही हैं मुश्किलें और उनकी सरकार से क्या है अपेक्षा।

Dec 5, 2024 - 10:48
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Jharkhand-Bihar Border: स्वास्थ्य केन्द्र की कमी से जूझते जरगा पंचायत के गांव
Jharkhand-Bihar Border: स्वास्थ्य केन्द्र की कमी से जूझते जरगा पंचायत के गांव

झारखंड और बिहार की सीमा पर स्थित जरगा पंचायत के कुछ गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी है। बिशुनपुर, झरखी, सपहा, और गोबरदहा जैसे गांवों में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, जिससे यहां की लगभग 1,500 की जनसंख्या गंभीर संकट में है। बीमारियों के समय, मरीजों को 20 किलोमीटर दूर कोडरमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है, और वह भी बाइक से, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए कोई सड़क चौड़ी नहीं है और अधिकांश सड़कें कच्ची हैं, जिनमें बड़े-बड़े गड्ढ़े बने हुए हैं।

वर्तमान समस्या: बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव

ये गांव कोडरमा के पहाड़ों, घने जंगलों और नदियों से घिरे हुए हैं, जिससे किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में चिकित्सा सहायता प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाता है। खासकर बारिश के मौसम में, यह इलाका दो महीने तक पूरी तरह से कट जाता है और सभी प्रमुख संपर्क मार्ग जलमग्न हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में, जब कोई महिला या व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो परिवार वाले उन्हें खाटिया में लटकाकर अस्पताल ले जाते हैं, जो कि एक बहुत ही कठिन और जोखिमपूर्ण प्रक्रिया है।

जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों से गुहार

ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों से इस समस्या का समाधान मांगने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पूर्व मुखिया शीला देवी, विजय सिंह, दिनेश सिंह, और अन्य स्थानीय नेताओं ने कहा कि गझंडी में एक उपस्वास्थ्य केंद्र जरूर है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है। गंभीर मामलों में 20 किलोमीटर दूर कोडरमा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना मजबूरी बन जाता है।

बरसात का सीजन: बड़ी मुश्किलें

बरसात के दिनों में जब नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है, तो यह क्षेत्र प्रखंड और जिला मुख्यालय से पूरी तरह से कट जाता है, जिससे गांव वालों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। गर्मियों में जब नदी का पानी सूखता है, तब तक कुछ रास्ते फिर से खुलते हैं, लेकिन तब भी सिर्फ बाइक ही एकमात्र विकल्प होता है।

स्वास्थ्य केंद्र की मांग

ग्रामीणों ने बार-बार अपनी सरकार और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि उनके इलाके में एक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया जाए ताकि सभी को त्वरित चिकित्सा सहायता मिल सके। उनकी नजरें सरकार पर हैं, जो उनकी इस बेसिक जरूरत को पूरा करने के लिए जिम्मेदार है।

डॉ. आरपी शर्मा की रिपोर्ट

कोडरमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ. आरपी शर्मा ने बताया कि उनके केंद्र में मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन उनके लिए स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सीमित हैं। उन्होंने बताया कि उपस्वास्थ्य केंद्र गझंडी में एएनएम और सहिया जैसी कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन यह जगह बहुत दूर है और पहुंचने में बहुत कठिनाई होती है।

इतिहास और शिक्षा का सबक

झारखंड और बिहार के सीमांत इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का इतिहास नया नहीं है। स्वतंत्रता के बाद से इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति में सुधार की अपेक्षा थी, लेकिन आज भी कई इलाके इस मूलभूत जरूरत से वंचित हैं। यह समस्या एक गंभीर चिंतन का विषय है, जिसे समाधान की जरूरत है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।