Simdega Initiative: जीवन के मध्य पड़ाव में सैकड़ों महिलाओं ने फिर से पढ़ाई शुरू की, क्या कहता है यह कदम?
सिमडेगा में 30 से अधिक उम्र की सैकड़ों महिलाएं मैट्रिक परीक्षा देने आगे आईं। जानिए कैसे शिक्षक राज आनंद सिंहा ने महिलाओं के पढ़ाई के हौसले को किया बुलंद।
सिमडेगा, झारखंड का एक छोटा सा शहर, जहां पर महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा और प्रेरणादायक कदम उठाया है। आज से कुछ साल पहले, जहां महिलाएं घर के कामकाज में ही सिमटी रहती थीं, वहीं आज सिमडेगा की महिलाएं अपनी पढ़ाई की ओर एक नया कदम बढ़ा रही हैं। 30 से अधिक उम्र की सैकड़ों महिलाएं अब मैट्रिक परीक्षा देने के लिए आगे आई हैं।
कौन हैं ये महिलाएं?
इनमें से ज्यादातर महिलाएं स्वास्थ्य सहिया और आंगनबाड़ी सेविकाएं हैं। ये महिलाएं कई बार अपने परिवार को प्राथमिकता देते हुए अपनी शिक्षा को नजरअंदाज करती रही थीं, लेकिन आज ये अपनी पढ़ाई के लिए खुद को समर्पित कर रही हैं।
शिक्षक का प्रयास: राज आनंद सिंहा की भूमिका
इस परिवर्तन के पीछे संत मेरीज स्कूल के विज्ञान शिक्षक राज आनंद सिंहा का बड़ा योगदान है। उन्होंने इन महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक खास पहल शुरू की। उनकी मेहनत और जुनून ने लगभग 300 महिलाओं को शिक्षा के मार्ग पर लाकर खड़ा किया।
राज आनंद सिंहा ने बताया कि शुरुआत में, महिलाएं पढ़ाई को लेकर थोड़ी झिझक महसूस करती थीं। वे अपनी उम्र को लेकर समाज में किसी प्रकार की आलोचना से डरती थीं। लेकिन धीरे-धीरे, उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए दिलचस्पी दिखानी शुरू की।
महिलाओं में पढ़ाई की ललक और समाज में बदलाव
अब ये महिलाएं हर रविवार को कॉपी-पुस्तक लेकर पढ़ाई के लिए पहुंचती हैं, उनके चेहरे पर उत्साह और आत्मविश्वास साफ देखा जा सकता है। वे मानती हैं कि पढ़ाई के बाद उनका मनोबल बढ़ा है और समाज में उन्हें एक नई पहचान मिल रही है।
"शुरुआत में लोग मजाक उड़ाया करते थे कि जब बच्चों को पढ़ाने की उम्र थी, तब ये पढ़ाई कर रही हैं। लेकिन आज वही लोग हमारी सराहना कर रहे हैं," एक महिला ने अपनी भावनाएं साझा की।
इतिहास में शिक्षा की भूमिका
झारखंड में महिलाओं की शिक्षा के लिए कई प्रयास किए गए हैं। समाज सुधारकों ने 19वीं और 20वीं सदी में महिलाओं की शिक्षा के लिए कई आंदोलन चलाए थे, जिनमें रानी दुर्गावती और झारखंड के जनजातीय समुदायों की महिलाएं शामिल थीं। अब, सिमडेगा की ये महिलाएं एक नई मिसाल कायम कर रही हैं कि उम्र के किसी भी पड़ाव पर शिक्षा का महत्व कम नहीं होता।
महिलाओं के हौसले की कहानी: एक प्रेरणा
सिमडेगा की ये महिलाएं अपने जीवन के हर पड़ाव पर संघर्ष करती आई हैं। इस पहल से उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी उम्र पढ़ाई के लिए रुकावट नहीं बन सकती।
राज आनंद सिंहा के प्रयास और महिलाओं की मेहनत ने यह संदेश दिया है कि शिक्षा कभी भी शुरू की जा सकती है, और हर उम्र में इसका महत्व होता है।
अब आगे क्या होगा?
राज आनंद सिंहा ने कहा कि वह अब इन महिलाओं को अधिकारिक प्रमाणपत्र और उच्च शिक्षा के लिए मार्गदर्शन देने का काम करेंगे। यह पहल न केवल महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ावा दे रही है, बल्कि समाज में उनके योगदान को भी उजागर कर रही है।
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