Jamshedpur Fraud: रिलायंस बीपी पर ₹31 लाख की धोखाधड़ी का आरोप
जमशेदपुर के व्यवसायी ने रिलायंस बीपी मोबिलिटी पर ₹31 लाख की धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेजा। जानें पूरी खबर और धोखाधड़ी के पीछे का सच।
जमशेदपुर के व्यवसायी नवीन कुमार चौधरी ने रिलायंस बीपी मोबिलिटी लिमिटेड पर ₹31,10,615 की धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस जारी किया है। उनके अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू द्वारा भेजे गए इस नोटिस में कंपनी पर अनुचित कार्य प्रणाली और डीकेंटेशन प्रक्रियाओं में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
नवीन कुमार चौधरी ने झारखंड के घाटशिला में रिलायंस बीपी मोबिलिटी के आउटलेट का संचालन किया। आरोप है कि कंपनी ने पुरानी स्ट्रैपिंग चार्ट और गलत कैलिब्रेशन चार्ट का उपयोग किया, जिससे जून 2021 से मार्च 2022 के बीच डीकेंटेशन प्रक्रिया में ₹3,06,024 का नुकसान हुआ।
इसके अलावा, अप्रैल 2021 से सितंबर 2022 के बीच ₹7,28,632 की अतिरिक्त हानि हुई। चौधरी ने कई बार इस मुद्दे को कंपनी के समक्ष उठाया, लेकिन कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए।
कंपनी पर चोरी के आरोप लगाने का भी आरोप
चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने बिना किसी प्रमाण के उनके और उनके कर्मचारियों पर चोरी के झूठे आरोप लगाए।
पृष्ठभूमि में क्या है कंपनी की जिम्मेदारी?
रिलायंस बीपी मोबिलिटी लिमिटेड, जो पहले रिलायंस पंप मार्केटिंग लिमिटेड के नाम से जानी जाती थी, का झारखंड में ईंधन आपूर्ति क्षेत्र में बड़ा नाम है। लेकिन इस घटना ने कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नवीन चौधरी का कहना है कि अक्टूबर 2022 में कंपनी द्वारा भेजे गए प्रशिक्षकों द्वारा की गई डीकेंटेशन प्रक्रिया में भी ईंधन की हानि जारी रही। गलत कैलिब्रेशन चार्ट और मानक संचालन प्रक्रियाओं की कमी के कारण चौधरी को कुल ₹31,10,615 का नुकसान हुआ।
कानूनी नोटिस में क्या है मांग?
नोटिस में रिलायंस बीपी मोबिलिटी और इसके शीर्ष अधिकारियों जैसे मुकेश अंबानी, अडापा कृष्ण राव श्रीनिवासन, रोहन प्रदीप शाह, पी.एम.एस. प्रसाद, हरीश मेहता, ध्रुवा चंदने, नितिन गुप्ता, और राजीव जोशी के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।
नोटिस में यह मांग की गई है कि रिलायंस बीपी मोबिलिटी एक सप्ताह के भीतर ₹31,10,615 की राशि का भुगतान करे। यदि ऐसा नहीं होता है, तो नवीन चौधरी सिविल और आपराधिक मुकदमा दायर करेंगे।
इतिहास में ऐसे आरोपों की गूंज
भारत में बड़े व्यवसायिक संस्थानों पर इस तरह के आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में भी कई बड़ी कंपनियों पर अनुबंध उल्लंघन और गड़बड़ी के आरोप लगे थे। रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को भी ऐसे विवादों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अधिकतर मामलों में समझौता किया गया।
आगे क्या होगा?
यह मामला झारखंड में बड़ी कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। अगर चौधरी का दावा सही साबित होता है, तो यह रिलायंस बीपी मोबिलिटी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
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