Jamshedpur Notice: 35 साल से रह रहे परिवारों को क्यों दिया गया घर खाली करने का नोटिस?

जमशेदपुर के मानगो गुरुद्वारा रोड पर 35 वर्षों से रह रहे परिवारों को अवैध निर्माण के कारण घर खाली करने का नोटिस मिला है। जानें इस नोटिस का कारण और इस फैसले से प्रभावित लोग क्या कह रहे हैं।

Dec 30, 2024 - 16:41
Dec 30, 2024 - 17:08
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Jamshedpur Notice: 35 साल से रह रहे परिवारों को क्यों दिया गया घर खाली करने का नोटिस?
Jamshedpur Notice: 35 साल से रह रहे परिवारों को क्यों दिया गया घर खाली करने का नोटिस?

जमशेदपुर के मानगो गुरुद्वारा रोड के बैकुंठ नगर के अंतिम छोर में लगभग 35 वर्षों से रहने वाले एक दर्जन से अधिक परिवारों के लिए एक खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है। मानगो अंचलाधिकारी कार्यालय की ओर से इन परिवारों को नोटिस भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि वे अपनी आवासीय जगह 28 जनवरी तक खाली कर दें। ऐसा न करने पर राज्य सरकार बलपूर्वक उनके मकान को गिरा देगी। इस नोटिस ने इन परिवारों के जीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है, जो पिछले तीन दशकों से अपने घरों में सुरक्षित महसूस कर रहे थे।

35 साल से यहीं रह रहे थे लोग, अब घर का संकट

यह परिवार, जो तिनका-तिनका जोड़कर अपना आशियाना बना चुके थे, अब अचानक अपने घरों के उजड़ने के डर से भयभीत हो गए हैं। इस नोटिस के बाद से परिवारों में घबराहट और चिंताओं का माहौल है। 35 वर्षों से इन परिवारों ने यह स्थान अपना घर समझकर चुना था और अपनी मेहनत से यहां जीवनयापन किया था। लेकिन अब इन परिवारों को यह समझ में नहीं आ रहा कि एक नोटिस के आधार पर उनका घर कैसे छीन लिया जाएगा।

लोहार का काम करने वाले जग़लाल शर्मा ने इस संबंध में बात करते हुए कहा कि यह किसी के लिए भी असहनीय स्थिति है। उन्होंने बताया, "35 साल से हम अपने परिवार के साथ यहां रह रहे हैं। सरकार समय-समय पर बिजली, पानी और होल्डिंग टैक्स का बिल हमसे लेती रही है। अब अचानक हमें यह नोटिस भेजना समझ से परे है। यह नोटिस हमें हमारे जीने का अधिकार छीनने जैसा महसूस हो रहा है।"

नोटिस के पीछे क्या कारण है?

अंचलाधिकारी कार्यालय ने जो नोटिस भेजा है, उसमें अवैध निर्माण का हवाला दिया गया है। यह कहा गया है कि जिन लोगों ने यह स्थान अपना घर बनाने के लिए चुना, उन्होंने इसे बिना अनुमति के और अवैध रूप से बनाया है। हालांकि, 35 वर्षों तक यह लोग उस स्थान पर रह रहे थे और कई वर्षों तक सरकारी सेवाओं का उपयोग करते रहे थे, फिर भी अब यह नोटिस उन्हें चौकाने वाला और अन्यायपूर्ण लग रहा है।

स्थानीय लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर यह अवैध था तो पिछले तीन दशकों से इनकी बस्तियों को न तो हटाया गया और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की गई। अब अचानक इसे अवैध ठहराना और इन परिवारों को घर खाली करने के लिए कहना, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है।

संकट में परिवार, खाने-पीने की भी हालत नहीं

नोटिस मिलने के बाद से इन परिवारों के जीवन में भारी तनाव और चिंता बढ़ गई है। कुछ परिवारों ने बताया कि वे इस स्थिति के कारण खाना पीना छोड़ चुके हैं, क्योंकि उन्हें अपने घर के उजड़ने का डर सता रहा है। उनके लिए यह एक बड़ा मानसिक आघात है, और वे अब इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए किसी मदद की तलाश में हैं।

स्थानीय नेताओं से मदद की अपील

इस मामले पर स्थानीय लोग अब स्थानीय नेताओं से सहयोग की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे चाहते हैं कि उनके साथ इंसाफ हो और किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई से पहले इस मामले पर पुनः विचार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस नोटिस के माध्यम से उन पर अत्याचार किया जा रहा है, जबकि वे यहां वर्षों से रह रहे हैं और अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से इस क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं।

सरकार को चाहिए संवेदनशील दृष्टिकोण

इस पूरे मामले में अब सवाल उठ रहे हैं कि सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे पर एक संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। क्या एक नोटिस के आधार पर इन परिवारों को उनके आशियाने से बेघर किया जा सकता है, जो यहां सालों से अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं? स्थानीय लोग और प्रभावित परिवार चाहते हैं कि सरकार इस मामले की गंभीरता से जांच करें और एक न्यायपूर्ण निर्णय लें, ताकि इन परिवारों का जीवन फिर से पटरी पर लौट सके।

जमशेदपुर के मानगो क्षेत्र में 35 वर्षों से रह रहे परिवारों को अवैध निर्माण के नाम पर घर खाली करने का जो नोटिस मिला है, उसने न केवल इन परिवारों को असमंजस में डाल दिया है, बल्कि एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या यह निर्णय सही है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसमें न्याय की उम्मीद की जाती है। अब देखना यह है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इस मामले में किस दिशा में कदम उठाते हैं।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।